ज़िन्दगी हमारे लिए
आज भार हो गई!
मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!!
हादसे सबल हुए हैं गाँव-गली-राह में खून से सनी हुई छुरी छिपी हैं बाँह में मौत ज़िन्दगी की रेल में सवार हो गई! मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!!
भागने की होड़ में
उखाड़ है-पछाड़ है
आज जोड़-तोड़ में
अजीब छेड़-छाड़ है
जीतने की चाह में
करारी हार हो गई!
मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!!
चीत्कार काँव-काँव छल रही हैं धूप-छाँव आदमी के ठाँव-ठाँव चल रहे हैं पेंच-दाँव सभ्यता के हाथ सभ्यता शिकार हो गई! मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!!
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मंगलवार, 2 जुलाई 2013
"सभ्यता के हाथ सभ्यता शिकार हो गई" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सशक्त पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
हटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (26-06-2013) के .१२९५ ....... जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1288 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
बढ़िया बात-
जवाब देंहटाएंभाव विभोर करती रचना
आभार गुरु जी-
सभ्यता के हाथ
जवाब देंहटाएंसभ्यता शिकार हो गई...
आज के दौर की भयावह सच्चाई से रूबरू कराती इस उत्कृष्ट कविता को हमसे साझा करने के लिए आपको सादर नमन!
गुरु जी को प्रणाम
जवाब देंहटाएंआपकी रचना कल बुधवार [03-07-2013] को
ब्लॉग प्रसारण पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया
बहुत सटीक.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुंदर सृजन,सशक्त प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
सभ्यता के हाथ
जवाब देंहटाएंसभ्यता शिकार हो गई!
मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!!
सारा सच बयाँ कर दिया
सभ्यता के हाथ
जवाब देंहटाएंसभ्यता शिकार हो गई!
मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!! सुंदर भाव।
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
amazing lines guru jee
जवाब देंहटाएंmeri nayi post par aapka swaagat hai...
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2013/07/blog-post.html
aaj ke sandarbh me satik baithta hai...
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (03-07-2013) के .. जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1295 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
मनुजता की चूनरी तो
जवाब देंहटाएंतार-तार हो गई!! ...बहुत सुन्दर भाव आभार
आज के यथार्थ को सच्चाई से बयान करती सशक्त प्रस्तुति ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंसभ्यता के हाथ
जवाब देंहटाएंसभ्यता शिकार हो गई!
सशक्त प्रस्तुति
चुनरी तो तार तार हो गयी ..
जवाब देंहटाएंप्रणाम आपको !
जवाब देंहटाएंजीतने की चाह में
करारी हार हो गई!
...बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
मानवता को शर्मसार करती घटनाओं से उपजी सटीक बयानी करती कविता !
जवाब देंहटाएं