कुछ चित्र ‘‘हाइकू’’ में
भार से कैसा लदा है?
लेकिन चलता जा रहा है,
आदमी है या गधा है?
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०- लैला तो एक है,
पागल हुए घूम रहे,
मजनूँ अनेक हैं,
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०- एक ही अनार है,
खाने को उतावले,
सैकड़ों बीमार हैं,
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-
नेट के सम्बन्ध
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एक निवेदन- नहीं विदेशी छन्द का, मुझको कोई ज्ञान। मैं भारत का आदमी, इन सबसे अनजान! |
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शुक्रवार, 12 जुलाई 2013
कुछ चित्र ‘‘हाइकू’’ में (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह, बहुत सुन्दर, बोलते हाईकू।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDAR HAIKU BADHAI AAPKO
जवाब देंहटाएंबहुत खरी खरी कही इस रचना में.
जवाब देंहटाएंरामराम.
शायद हाइकू की रचना में ५-७-५ शब्दों की तीन लाइने होती है,,,
फिर भी,बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन,,,
RECENT POST ....: नीयत बदल गई.
शास्त्री सर... रचना तो अच्छी है! मगर हाइकु का हिसाब समझ नहीं आया.... क्षमा चाहेंगे!:)
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
हाँ जी हाइकु में ५...७...५.. का मेल होता है ..
जवाब देंहटाएंकुछ ऐसी सी ...
जवाब देंहटाएंहाइकु
ये बरखा भी
आफत ढा रही है
रुत अंजान ||
कम शब्दों में बड़ी बात ....सुंदर
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबेहद सारगर्भित अर्थ सौन्दर्य संसिक्त रचना .बधाई बधाई बधाई .आदमी की नियति .
बहुत सुन्दर हाइकू
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव मगर हाइकू 5-7-5 में होते हैं यही सुना है
जवाब देंहटाएं