घर के बडे़-बुजुर्गों से जो प्यार नही कर सकता, अनदेखे परमेश्वर से वो कैसे प्यार करेगा? जो सैनिक काँधे पर खुद हथियार नही धर सकता, वह सीमा पर शत्रु का कैसे संहार करेगा? विद्या से विनम्रता आती, विनय पात्रता सिखलाती, भोजन की थाली पाकर जो उदर नही भर सकता, लालन-पालन वो कैसे पूरा परिवार करेगा? अनदेखे परमेश्वर से वो कैसे प्यार करेंगा? श्रेष्ठ वही है जो पढ़ता है, ज्ञान बाँटने से बढ़ता है, अभिमानी विद्वान भला कैसे उद्धार करेगा? अनदेखे परमेश्वर से वो कैसे प्यार करेंगा? धन पा जाना बहुत सुलभ है, सज्जन बनपाना दुर्लभ है, मूरख विद्या देवी की कैसे मनुहार करेगा? अनदेखे परमेश्वर से वो कैसे प्यार करेंगा? |
---|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 6 नवंबर 2009
"अनदेखे परमेश्वर से वो कैसे प्यार करेंगा?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
घर के बडे़-बुजुर्गों से जो प्यार नही कर सकता,
जवाब देंहटाएंअनदेखे परमेश्वर से वो कैसे प्यार करेग
सुन्दर शास्त्री जी बहुत सुन्दर !!!
घर के बडे़-बुजुर्गों से जो प्यार नही कर सकता,
जवाब देंहटाएंअनदेखे परमेश्वर से वो कैसे प्यार करेगा?
in panktiyon ne dil ko chhoo liya hai........
bahut hi sunder rachna........
बहुत बढ़िया रचना - बधाई !
जवाब देंहटाएंजिस घर में बड़े-बुज़ुर्गों का सम्मान नहीं.
जवाब देंहटाएंवो घर भूतों के डेरे से कम नहीं...
जय हिंद...
बहुत सुंदर रचना, आभार आपका.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अनदेखे परमेश्वर से वो कैसे प्यार करेगा? शास्त्री जी परमेश्वर से तो दो बात के लिए प्यार किया जाता है एक की हम मांगते हैं और वो देता है दूसरा वो हमारा बुरा भी करता है। लेकिन माता-पिता तो बुरा कर नहीं सकते और यदि गरीब हैं तो कुछ दे भी नहीं सकते फिर उनसे प्यार क्यों करना? विचारणीय पोस्ट, बधाई।
जवाब देंहटाएंबुजुर्ग बुजुर्ग नहीं कवच हैं हमारे।
जवाब देंहटाएंबेहतर भाव लिये भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
आभार ।
धन पा जाना बहुत सुलभ है,
जवाब देंहटाएंसज्जन बनपाना दुर्लभ है,
मूरख विद्या देवी की कैसे मनुहार करेगा?
अनदेखे परमेश्वर से वो कैसे प्यार करेंगा?
लाख टके की बात कह दी, शास्त्री जी आपने !
बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने! अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंधन पा जाना बहुत सुलभ है,
जवाब देंहटाएंसज्जन बनपाना दुर्लभ है,
----------
अनुभूत सत्य।
बुजुर्गों का करते जो सम्मान नहीं,
जवाब देंहटाएंहोते वे हैवान हैं, इंसान नहीं।
ek ek pankti main gehra saar hai..bhaut sunder.
जवाब देंहटाएंbahut bahut bahut hi sundar aur gyan vardhak rachna......kis kis pankti ki tarif karoon...........har pankti ek nayi sikh deti huyi...........badhayi.
जवाब देंहटाएं