प्रियतम जब तुम आओगे तो, संग बहारें लाओगे। स्नेहिल रस बरसाओगे और रंग फुहारें लाओगे।। तुमको पाकर मन के उपवन, बाग-बाग हो जायेंगे, वीराने गुलशन में फिर से, कली-सुमन मुस्कायेंगे, जीवनरूपी बगिया में तुम, ढंग निराले लाओगे। स्नेहिल रस बरसाओगे और रंग फुहारें लाओगे।। अमराई में कोयल फिर से, कुहुँक-कुहुँक कर गायेगी, मुर्झाई अमियों में फिर से, मस्त जवानी छायेगी, अमलतास के पेड़ों पर, पचरंगी फूल खिलाओगे। स्नेहिल रस बरसाओगे और रंग फुहारें लाओगे।। आशा है आकर तुम मेरे, कानों में रस घोलोगे, सदियों का तुम मौन तोड़कर, मीठे स्वर में बोलोगे, अपनी साँसो के सम्बल से, मुझको तुम सहलाओगे। स्नेहिल रस बरसाओगे और रंग फुहारें लाओगे।। |
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मंगलवार, 17 नवंबर 2009
"आस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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प्रियतम जब तुम आओगे , बेहद भावपूर्ण रचना लगी ।
जवाब देंहटाएंजीवनरूपी बगिया में तुम,
जवाब देंहटाएंढंग निराले लाओगे।
स्नेहिल रस बरसाओगे और
रंग फुहारें लाओगे।।
प्रियतम से मिलकर तो ऐसा ही होता है
प्रेमरस मे डूबी हुयी रचना
सदियों का तुम मौन तोड़कर,
जवाब देंहटाएंमीठे स्वर में बोलोगे,
अपनी साँसो के सम्बल से,
मुझको तुम सहलाओगे।
स्नेहिल रस बरसाओगे
कोमल एहसासों को शब्द देना इतना आसान नहीं..आपको बधाइयाँ...आदरणीय मयंक जी...
अमराई में कोयल फिर से,
जवाब देंहटाएंकुहुँक-कुहुँक कर गायेगी,
मुर्झाई अमियों में फिर से,
मस्त जवानी छायेगी,
अमलतास के पेड़ों पर,
पचरंगी फूल खिलाओगे।
बहुत सुन्दर, शरद का सामना इसी उम्मीद में कि बसंत भी लौटकर आयेगा !
आशा है आकर तुम मेरे,
जवाब देंहटाएंकानों में रस घोलोगे,
सदियों का तुम मौन तोड़कर,
मीठे स्वर में बोलोगे,
अपनी साँसो के सम्बल से,
मुझको तुम सहलाओगे।
स्नेहिल रस बरसाओगे और
रंग फुहारें लाओगे।।
bahut hi bhaavpoorn panktiyan....
सुन्दर!
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
आशा है आकर तुम मेरे,
जवाब देंहटाएंकानों में रस घोलोगे,
सदियों का तुम मौन तोड़कर,
मीठे स्वर में बोलोगे.....
प्रेम रस में डूबी .... बेहतरीन रचना है .......
Behad bhavpurn rachna
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंpriyatam jab tum aaoge
जवाब देंहटाएंpriyatam jab tum aaoge
in panktiyon ne hi man moh liya..........sara saar hi jaise in panktiyon mein chupa hai..........jaise pratiksha ko sakshat kar diya ho in panktiyon ne...........dil ke sare ahsaas, sare jazbaat jaise inhi panktiyon mein samahit ho gaye hon........adbhut.
सदियों का तुम मौन तोड़कर,
जवाब देंहटाएंमीठे स्वर में बोलोगे,
अत्यंत भावपूर्ण रचना. सार्थक आहवान.
मुर्झाई अमियों में फिर से,
जवाब देंहटाएंमस्त जवानी छायेगी,
अमलतास के पेड़ों पर,
पचरंगी फूल खिलाओगे।
वाह ! वाह !! क्या बात है !!!
वाह शाष्त्रीजी वाह.............हर रोज़ एक नया अंदाज़ .....बहुत खूब ......लगे रहे ......शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएं.शुभकामनाएं !
" bahvpurn rachana ke liye aapko badhai ."
जवाब देंहटाएं----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
क्या बात है शास्त्री जी बेहद भावपूर्ण कविता प्यार में प्रियतम का इंतज़ार करना..कितना सुंदर अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रेम कविता……………………
जवाब देंहटाएंअमराई में कोयल फिर से,
जवाब देंहटाएंकुहुँक-कुहुँक कर गायेगी,
मुर्झाई अमियों में फिर से,
मस्त जवानी छायेगी,
शास्त्री जी बहुत सुंदर ओर गहरे भव लिये है आप की यह फ़ूलो सी महकती कविता.
धन्यवाद
शास्त्री जी, बहुत अच्छी भावपूर्ण रचना. निम्न पंक्तियाँ मनभावन लगीं ...
जवाब देंहटाएंअमराई में कोयल फिर से,
कुहुँक-कुहुँक कर गायेगी,
मुर्झाई अमियों में फिर से,
मस्त जवानी छायेगी,
अमलतास के पेड़ों पर,
पचरंगी फूल खिलाओगे।
बहुत सुंदर शाश्त्रीजी. शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंरामराम.
अमराई में कोयल फिर से,
जवाब देंहटाएंकुहुँक-कुहुँक कर गायेगी,
मुर्झाई अमियों में फिर से,
मस्त जवानी छायेगी,
प्रकृति के माध्यम से कही आपकी रचना के भाव अत्यंत सुन्दर हैं. आगमन का आह्वान और आशा जगाती रचना
अमराई में कोयल फिर से,
जवाब देंहटाएंकुहुँक-कुहुँक कर गायेगी,
मुर्झाई अमियों में फिर से,
मस्त जवानी छायेगी,
अमलतास के पेड़ों पर,
पचरंगी फूल खिलाओगे।
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने ! हर एक पंक्तियाँ शानदार लगा!