देश-वेश और जाति, धर्म का , मन में कुछ भी भेद नहीं।
भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।
सरदी की ठण्डक में ठिठुरा, गर्मी की लू झेली हैं,
बरसातों की रिम-झिम से जी भर कर होली खेली है,
चप्पू दोनों सही-सलामत, पर नौका में छेद कहीं।
भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।
सुख में कभी नही मुस्काया, दुख में कभी नही रोया,
जीवन की नाजुक घड़ियों में, धीरज कभी नही खोया,
दुनिया भर की पोथी पढ़ लीं, नजर न आया वेद कहीं।
भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।
आशा और निराशा का संगम है, एक परिभाषा है,
कभी गरल है, कभी सरल है, जीवन एक पिपासा है,
गलियों मे बह रहा लहू है, दिखा कहीं श्रम-स्वेद नहीं।
भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।
कभी गरल है, कभी सरल है, जीवन एक पिपासा है,
जवाब देंहटाएंसही विश्लेषण
इस कविता में प्रत्यक्ष अनुभव की बात की गई है, इसलिए सारे शब्द अर्थवान हो उठे हैं ।
जवाब देंहटाएंदुनिया भर की पोथी पढ़ लीं, नजर न आया वेद कहीं।
जवाब देंहटाएंभोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।
Bahut Umdaa baat kah dee aapne !
aadarniy shaastriji !
जवाब देंहटाएंbaar baar ...lagaataar.......
aapki kavitaaon ka main zabardast prashansak hota jaa raha hoon.
prastut kavita ne man ko bada sukoon diya
aapki vidha
aapki lekhni
aur aapke shabd saamrthya ko salaam !
manse nahin........dil se...ha ha ha
सुख में कभी नही मुस्काया, दुख में कभी नही रोया,
जवाब देंहटाएंजीवन की नाजुक घड़ियों में, धीरज कभी नही खोया,
दुनिया भर की पोथी पढ़ लीं, नजर न आया वेद कहीं।
भोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।
वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुख में कभी नही मुस्काया, दुख में कभी नही रोया,
जवाब देंहटाएंजीवन की नाजुक घड़ियों में, धीरज कभी नही खोया॥
वाह शास्त्री जी उम्दा पंक्तियाँ ! जीवन की यही सच्चाई है! सुख और दुःख दोनों ही हर इंसान के जीवन में आता है ! बहुत सुंदर रचना!
यही तो है जीवन का सच शास्त्री जी बहुत सुंदर रचना. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंदुनिया भर की पोथी पढ़ लीं, नजर न आया वेद कहीं।
जवाब देंहटाएंभोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।
wah bahut sunder abhivyakti
बहुत सुंदर रचना!
जवाब देंहटाएंअब तबियत कैसी है आपकी ?
गलियों मे बह रहा लहू है, दिखा कहीं श्रम-स्वेद नहीं।
जवाब देंहटाएंभोग लिया जीवन सारा, अब मर जाने का खेद नहीं।।
-भावपूर्ण रचना!!
कभी गरल है, कभी सरल है, जीवन एक पिपासा है,
जवाब देंहटाएंyahi saar hai jeevan ka--
***antim panktiyan behad prabhaavshaali lagin.
bahut hi achchhee rachna hai.
सुख में कभी नही मुस्काया, दुख में कभी नही रोया,
जवाब देंहटाएंजीवन की नाजुक घड़ियों में, धीरज कभी नही खोया,
आशा और निराशा का संगम है, एक परिभाषा है,
कभी गरल है, कभी सरल है, जीवन एक पिपासा ह
सुन्दर अभिव्यक्तिै धन्यवाद