!! इतिहास का काला अध्याय-6 दिसम्बर !!
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रविवार, 6 दिसंबर 2009
"गन्दी सियासत का दिन, 6-दिसम्बर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
!! इतिहास का काला अध्याय-6 दिसम्बर !!
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काश कोई समझ पाता लोगो का दर्द? मगर क्या करें ? हर किसी ने तो अपनी रोटियाँ सेंकी हैं
जवाब देंहटाएंलोग टूट जाते हैं इक घर बनाने मैं
तुम तरस नही खाते बस्तिया जलाने मैं
सुमन हलकान करने को, अमानत में खयानत थी,nice
जवाब देंहटाएंगिराया एक ढाँचा था , मिटे ढाँचे हजारों थे,
जवाब देंहटाएंमिटाया एक साँचा था, लुटे साँचे हजारों थे,
bahut hi dardnak aur bhavah sthiti thi aur shayad aaj bhi wo hi hai.
mara ek shakhs tha
huye barbaad
na jaane kitne the
us ek chehre ko dhoondhti
nigaahein aaj
na jaane kitni hain
gam ka wo sookha
thahra aaj bhi
har ik nigaah
mein hai
siyasat ki zameen
par bikhri
laashein hajaron hain
हमारी प्यार की डाली, झटक कर तोड़ डाली है,
जवाब देंहटाएंसलीकों से भरी थाली, पटक कर फोड़ डाली है,
सुंदर पंक्तियों के साथ सुंदर कविता....
गिराया एक ढाँचा था , मिटे ढाँचे हजारों थे,
जवाब देंहटाएंमिटाया एक साँचा था, लुटे साँचे हजारों थे,
क्या गहराई लिये है ये पंक्तियाँ. गिराये हुए ढाचे को तो शायद फिर बना भी लें पर उसके साथ गिरे ढाचे का क्या करें ---
राम का घर रहमान का दर बना दिया गया था। सही बात।
जवाब देंहटाएंखुदा को तो इंसान ही नहीं बख्शते, मवाली क्यों बख्शें?
एक से बढ़कर एक तस्वीर और साथ में बेहद ख़ूबसूरत रचना! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है!
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक तस्वीर और साथ में बेहद ख़ूबसूरत रचना! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है!
जवाब देंहटाएंप्रिय मयंक सर, आपका ब्लॉग नुक्कड़ और उच्चारण बहुत ही प्रेरक ब्लॉग है. आपने आज की राजनीती को निःसंदेह सही उच्चारित किया है. आशा है आपका नुक्कड़ नेताओं के नाटक का पटाक्षेप करेगा.
जवाब देंहटाएंआपके सुन्दर टिप्पनिओं के लिए धन्यवाद्!
आपका
दीपक (होशोहवास ब्लॉग पर)
माफी रिक्वेस्ट करते हुए पूछ रहा हूँ कि क्या हम उस दिन को याद करके या उस हादसे के बहाने आज समाज में गंदगी नही फैला रहे? क्या उस दिन पर आज भी राजनीति नही हो रही? और अंत में क्या उस दिन जो भी हुआ उसकी जाँच पड़ताल से आज देश के हालात को कोई फ़र्क पड़ता है? इन सब प्रश्नो के उत्तर हम जिस दिन ईमानदारी से दे पायें, शायद भारत के लिए उस दिन कुछ कर पाएँगे...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
सुंदर कविता । प्रश्न सिर्फ एक ढांचा गिराने का नहीं था । बल्कि यह देश की शांति और सदभाव से जुडा मुददा था । सबको पता है कि इसके बाद कितना वैमनस्य फैला और निर्दोष लोग मारे गए ।
जवाब देंहटाएंअम्बरीश अम्बुज जी!
जवाब देंहटाएंइतिहास नाम का विषय तो समाप्त करवाइए ना!
यहाँ पर मैं अम्बरीश अम्बुज जी की बात से पूर्ण सहमत हूँ !
जवाब देंहटाएंपता नहीं कितने ढाँचे गिरे, उसी को इतना महत्व क्यों और बात यह नहीं थे की एक मस्जिद टूटी बात यह थी की दोनों और के लोग इस बात के लिए बराबर के जिम्मेदार थे की इसे नाक का प्रश्न बनाया !
मेरी बात बुरी लगे हो शास्त्री जी तो क्षमा चाहता हूँ ! वैसे मैंने यह देखा है जहाँ तक राजनैतिक पार्टियों का सवाल है क्या बीजेपी क्या कौंग्रेस और क्या बाम सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे है उनका काम है लोगो को मूर्ख बनाना ! लेकिन जहां तक इतिहास की बात है तो बौद्धिक जगत के आप एक सीनियर सदस्य हो और आप भी इस बात को बहली भांति जानते है कि जहाँ तक हमारे देश के इतिहास का प्रश्न है, इसे हर किसी ने अपने ढंग से पेश किया और तोड़ा-मरोड़ा ! यहाँ जिस बात को सुर्खिया बहुत मिली वह इतिहास बन गया और जिसमे इतिहास बनने की काबिलियत थी उसे सुर्खियाँ न मिलने की वजह से कहीं दब के रह गया ! मेरा इस बात पर जोर देने का आशय भी यही है कि हम लोग इसे बहुत ज्यादा टूल देकर इसे जान्बूजकर इतिहास में शामिल कर रहे है, जबकि यह इतिहास बनने लायक ऐसी कोई चीज नहीं ! जारो सोचिये उन कितने मूर्खो को आज इस देश का हिन्दू याद कर रहा है जिसने इस राम-नाम जाप करने वाले पोलितिसियन के चक्कर में आकर बेबजाह अपनी जान गवाई ?
जवाब देंहटाएंaadarniya shashtri ji... meri baat galat lagi, kshama chahta hun.. itihaas ke baare mein apne khayalat main mahfooz bhai ke blog par bahut pahle bata chuka hun.. yaad nahi kaun si post hai warna link de deta.. khair, jab bhi itihaas ki baat hoti hai to mujhe "MAHABHARAT KI EK SAANJH" mein duryodhan (i mean SUYODHAN) ka kaha yaad aata hai, "HAAN HAAN, KYON NAHI. ITIHAAS TO TUM APNI DEKH REKH MEIN LIKHWAOGE....." agar itihaas sahi se likha gaya hota to ...... jaane dijiye...
जवाब देंहटाएंagar koi baat buri lagi to dubara maafi mangta hun... chhoti umr samajh kar maaf kar dijiyega...