खार सब आरोप सिर पर ले रहे,
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मंगलवार, 1 दिसंबर 2009
"बे-सबब उपहार की बातें करें!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
खार सब आरोप सिर पर ले रहे,
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मित्रता में अब नही वो बात है,
जवाब देंहटाएंदोस्त करता दोस्त से ही घात है,...
होता तो यही आया है ...मगर .....
मतलबी दिलदार की बाते करे ...बेसबब उपहार की बाते करें ...!!
सब पुराने आशियाने ढह गये,
जवाब देंहटाएंहोड़ में नूतन ठिकाने रह गये,
होड ही तो है जो हमारे हर विश्वास हर संस्कृति को पीछे छोड रहा है
बहुत सुन्दर और सामयिक
बेवफाई का सिला गुल दे रहे,
जवाब देंहटाएंखार सब आरोप सिर पर ले रहे,
बे-सबब उपहार की बातें करें।
प्रीत और मनुहार की बातें करें।।
बहुत खूब। अच्छी रचना।
सब पुराने आशियाने ढह गये,
जवाब देंहटाएंहोड़ में नूतन ठिकाने रह गये,
मतलबी दिलदार की बातें करें।
प्रीत और मनुहार की बातें करें।।
बहुत सुन्दर.......
प्रीत और मनुहार की बातें करें।।
जवाब देंहटाएंएकदम समय के अनुकूल, सार्थक और सुन्दर रचना
अब बनावट प्यार की बातें करें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति। आज के संदर्भ में।
बेवफाई का सिला गुल दे रहे,
जवाब देंहटाएंखार सब आरोप सिर पर ले रहे,
बे-सबब उपहार की बातें करें।
प्रीत और मनुहार की बातें करें।।
सुन्दर छन्द, सुन्दर प्रस्तुति.
मित्रता में अब नही वो बात है,
जवाब देंहटाएंदोस्त करता दोस्त से ही घात है,
छल भरी उपकार की बातें करें।
प्रीत और मनुहार की बातें करें।।
बेहद ख़ूबसूरत पंक्तियाँ शास्त्री जी !
अब बनावट प्यार की बातें करें।
जवाब देंहटाएंप्रीत और मनुहार की बातें करें।।
nice.......nice...........nice.......
सदा की तरह सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ओर आज के हालात के अनुसार है आप की यह कविता, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकामनाओं में लगी अब होड़ है,
जवाब देंहटाएंखाज मे उपजा हुआ अब कोढ़ है,
गुम हुए त्योहार की बातें करें।
प्रीत और मनुहार की बातें करें।।
bilkul sahi kaha........har fasad ki jad kamna hi to hoti hai.........bahut sundar.
बहुत अच्छी रचना है। भाव, विचार और शिल्प सभी प्रभावित करते हैं। सार्थक और सारगर्भित प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमैने अपने ब्लग पर एक कविता लिखी है-रूप जगाए इच्छाएं-समय हो पढ़ें और कमेंट भी दें ।- http://drashokpriyaranjan.blogspot.com
गद्य रचनाओं के लिए भी मेरा ब्लाग है। इस पर एक लेख-घरेलू हिंसा से लहूलुहान महिलाओं को तन और मन लिखा है-समय हो तो पढ़ें और अपनी राय भी दें ।-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
सब पुराने आशियाने ढह गये,
जवाब देंहटाएंहोड़ में नूतन ठिकाने रह गये,
मतलबी दिलदार की बातें करें।
प्रीत और मनुहार की बातें करें।।
बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने! लाजवाब!
कामनाओं में लगी अब होड़ है,
जवाब देंहटाएंखाज मे उपजा हुआ अब कोढ़ है,
गुम हुए त्योहार की बातें करें।
प्रीत और मनुहार की बातें करें।।
वाह शास्त्री जी, एक और प्रासंगिक और उम्दा रचना. साधू!!
कामनाओं में लगी अब होड़ है,
जवाब देंहटाएंखाज मे उपजा हुआ अब कोढ़ है,
गुम हुए त्योहार की बातें करें।
प्रीत और मनुहार की बातें करें।।
हमेशा की तरह सुन्दर.
umda likha hai !
जवाब देंहटाएंumda likha hai !
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