मन और सुमन हमेशा गायें अभिनव मंगल गान।
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बुधवार, 2 दिसंबर 2009
"मेरा भारत देश महान!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
मन और सुमन हमेशा गायें अभिनव मंगल गान।
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ये इच्छा पूरी हो ,कामना करता हूं । इसमें हम सब का भला है
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतर रचना शास्त्री जी ! हम तो सिर्फ आशा ही लगाए रख सकते है की कभी आपका यह दिव्यस्व्प्न साकार हो !
जवाब देंहटाएंसुन्दर विचार और अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंमेरा भारत महान
बहुत सुंदर कविता............
जवाब देंहटाएंयह भावना सभी देश वासियो की होना चाहिए . बहुत बढ़िया रचना ......
जवाब देंहटाएंउगें नये पौधे बगिया में, मिले खाद और पानी,
जवाब देंहटाएंशिक्षा के भण्डार भरे हों, नर-नारी हों ज्ञानी,
तुलसी, सूर, कबीर सुनाएँ राम कृष्ण की तान।
अपनी कुटिया बन जाएगी सुन्दर विमल-वितान।।
AAMEEN......KAASH ESA HI HO.
sundar kavita ..........sundar bhav.........kash aisa ho paye.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया लिखा आपने .. अवश्य पूरे होंगे हमारे सपने !!
जवाब देंहटाएंसुंदर छंद विधान।
जवाब देंहटाएं--------
अदभुत है हमारा शरीर।
क्या अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद सफल होगा?
बेहतरीन। बधाई।
जवाब देंहटाएंचिंगारी आतंकवाद की कहीं भड़कने ना पाये,
जवाब देंहटाएंगद्दारी अलगाववाद की कही धड़कने ना पाये,
इन्सानों की बस्ती में, अब नही पलने पाये शैतान।
अपनी कुटिया बन जाएगी सुन्दर विमल-वितान।।
बहुत सुंदर भाव के साथ आपने हर शब्द लिखा है ! हमारे देश के प्रति सभी के मन में ऐसा ही विचार हो तो कितना अच्छा रहेगा!
bahut sundar vichar hain
जवाब देंहटाएं"कुछ हजारों" को छोड़, जिन्हें गरीबी, बदहाली, बेकारी, भुखमरी, अभावों से कुछ नहीं लेना-देना, शायद हर भारतवासी का यही सपना है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा ओर सुंदर विचार. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विचार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ऐसा ही हो ..
जवाब देंहटाएंलेकिन यह अपने आप नहीं होगा।...
अच्छी कविता.
आपकी छन्द साधने की कला अप्रतिम है।!
भारत देश महान..बढ़िया छन्द ..हर पंक्तियाँ लाज़वाब..बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर पंक्तियां महोदय ।
जवाब देंहटाएंसबका मन यही करता है लेकिन दुनिया में दिन है तो रात भी होती ही है। फिर भी दुनिया जितनी नेक बने उतना ही अच्छा। हम सब इसी तरह सोचते रहेंगे तो बदलाव भी आएगा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत पंक्तियां, गहन भावों का समावेश आपका यह स्वप्न साकार हो ।
जवाब देंहटाएंआभार ।
सुख का सूरज सजे गगन में, बादल अमृत बरसायें,
जवाब देंहटाएंविश्व गुरू बनकर हम जग को, पावन पथ दिखलायें,.
आपके मुँह में घी शक्कर ...... अगर ऐसा हो जाए तो अपना भारत फिर से महान हो जाए ...... सुंदर प्रस्तुति ......
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-7-22} को "सफर यूँ ही चलता रहें"(चर्चा अंक 4500)
पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
वाह, बहुत ही अनमोल सी रचना
जवाब देंहटाएं