मित्रों!
आज उच्चारण की 1500वीं पोस्ट है!
21 जनवरी, 2009 को
हिन्दी ब्लॉगिंग शुरू की थी!
इस अल्पअन्तराल में
बहुत से उतार-चढ़ाव भी देखे,
परन्तु उच्चारण का कारवाँ रुका नहीं!
अब उच्चारण पर मेरी पोस्ट
मंगलवार और शुक्रवार को ही आयेंगी!
कोशिश यह रहेगी
कि अपने अन्य ब्लॉगों पर भी
2-3 दिन के अन्तराल पर
पोस्ट लगाता रहूँ।
इस अवसर पर
देखिए मेरी यह रचना!
लक्ष्य तो मिला नहीं, राह नापता रहा।
काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
पथ में जो मिला मुझे, मैं उसी का हो गया।
स्वप्न के वितान में, मन नयन में खो गया।
शूल की धसान में, फूल छाँटता रहा।
काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
चेतना के गाँव में, चेतना तो सो गयी।
अन्धकार छा गया, सुबह से शाम हो गयी,
और मैं मकान में, गूल पाटता रहा।
काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
रत्न खोजने चला हूँ, पर्वतों के देश में।
अभी तो कुछ मिला नहीं, पत्थरों के वेश में।
अपने ख़ानदान में, उसूल बाँटता रहा।
काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
चन्द्रिका ‘मयंक’
की, तन-बदन जला रही।
कुटिलग्रहों की चाल अब, कुचक्र को चला रही।
और मैं मचान की, झूल काटता रहा।
काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
|
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शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012
"आज उच्चारण की 1500वीं पोस्ट है!"
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जवाब देंहटाएंबधाई .....हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं1500 वीं पोस्ट के लिये हार्दिक बधाई। आप कितना श्रम करते हैं किसी से छुपा नहीं है और माँ का वरद हस्त आप पर है ही तभी आज इस मुकाम को छुआ है । हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें । एक दिन आपकी 15000वीं पोस्ट पर भी हम ऐसे ही बधाई दें यही कामना है। :):):)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत-बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंआपको पंद्रह सो वीं पोस्ट पर हार्दिक बधाई माँ सरस्वती का हाथ यूँ ही आपके सिर पर हमेशा रहे यही शुभकामना है बहुत उत्कृष्ट गीत लिखा है बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई सहित शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंhar pangti prabhwshali hai......bahut-bahut badhayee ho 1500 post poore hone ki.
जवाब देंहटाएंअहा हा हा हा -
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें गुरुवर-
बढ़ते रहें कदम -
जम के-
सादर
पंद्रह सो वीं पोस्ट पर बहुत-बहुत बधाई सहित शुभकामनाएं....http://balmankirahe.blogspot.in/ पर आप का हार्दिक स्वागत है..
जवाब देंहटाएंयह सफर अनवरत जारी रहे. शुभकामनायें>.
जवाब देंहटाएंआपके अविरल लेखन को नमन।
जवाब देंहटाएंमाँ, सरस्वती की वाणी और वीणा
की कृपा सदैव बनी रहे, इस आशा
और विश्वास के साथ।
आनन्द विश्वास।
बधाई सर बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
जवाब देंहटाएंरत्न खोजने चला हूँ, पर्वतों के देश में।
अभी तो कुछ मिला नहीं, पत्थरों के वेश में।
अपने ख़ानदान में, उसूल बाँटता रहा।
काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
आप नित नया दे रहें हैं नित नूतन ही सौन्दर्य भी कहलाता है .जल्दी आप 1500 के आगे एक बिंदी और जड़ें शत साला होवें .
रत्न खोजने चला हूँ, पर्वतों के देश में।
जवाब देंहटाएंअभी तो कुछ मिला नहीं, पत्थरों के वेश में।
अपने ख़ानदान में, उसूल बाँटता रहा।
काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
यह उसूल पल्ल्वित और पुष्पित होता रहे।
१५००वीं पोस्ट पर बधाई।
1500 वीं पोस्ट, वाकई मील का पत्थर है।
जवाब देंहटाएंसर बहुत बहुत शुभकामनाएं..
सच कहूं तो आपको पढ़ना, आपके साथ बातें करने जैसा लगता है। आप की रचनाएं काफी व्यवहारिक होती हैं, आप कहां से विषय निकाल लेगे, कुछ नहीं कहा जा सकता। बात चीत में विषय निकल आता है।
ब्लाग जगत आप जैसे लोगों की वजह से ही धनवान है।
जवाब देंहटाएंरत्न खोजने चला हूँ, पर्वतों के देश में।
अभी तो कुछ मिला नहीं, पत्थरों के वेश में।
अपने ख़ानदान में, उसूल बाँटता रहा।
काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
आप नित नया दे रहें हैं नित नूतन ही सौन्दर्य भी कहलाता है .जल्दी आप 1500 के आगे एक बिंदी और जड़ें शत साला होवें .
बहुत बधाई और शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंचेतना के गाँव में, चेतना तो सो गयी।
जवाब देंहटाएंअन्धकार छा गया, सुबह से शाम हो गयी,
और मैं मकान में, गूल पाटता रहा।
काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
बहुत खूब शास्त्री जी , आपको १५००० वी पोस्ट की अग्रिम बधाई !
मेरी ओर से भी आपको हार्दिक बधाई.आपका कारवां यूँ ही बढ़ता रहे.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
बहुत बहुत बधाई सर और आने वाले समय के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ !:)
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना से.. महान कवि आदरणीय नीरज जी के गीत की याद आ गयी ! Beats मिलती जुलती हैं.. हमें उनका ये गीत बहुत पसंद है !:)
'और हम झुके झुके... मोड़ पर रुके रुके...
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे....'
~सादर !
इस सार्थक उपलब्धि पर हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंशानदार पड़ाव हेतु सादर बधाई ,हिंदी जगत के ब्लॉग संसार में आपका मुकाम निराला है |आपसे बहुत कुछ सीखा है और भी सीखना है ,सदा इसी तरह मार्ग प्रशस्त करते रहियेगा आभार |
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक जी महापड़ाव के लिए बधाई...
जवाब देंहटाएं