मित्रों!
अपनी डायरी से आज एक पुराना गीत
प्रस्तुत कर रहा हूँ!
समय चक्र में घूम रहे जब मीत बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे नवगीत मचल जाते हैं।।
जब मौसम अंगड़ाई लेकर झाँक रहा होता है,
नये सुरों के साथ सभी संगीत बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते हैं।।
उपवन में जब नये पुष्प अवतरित हुआ करते हैं,
पल्लव-परिधानों के सब उपवीत बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते हैं।।
चलते-चलते भुवन-भास्कर जब कुछ थक जाता है,
मुल्ला-पण्डित के पावन उद्-गीथ बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते हैं।।
जीवन का अवसान देख जब यौवन ढल जाता है,
रंग-ढंग, आचरण, रीत और प्रीत बदल जाते हैं।।
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते हैं।।
रात अमावस में "मयंक" जब कारा में रहता है,
कृष्ण-कन्हैया के माखन-नवनीत बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते हैं।।
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गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012
"संगीत बदल जाते हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बेहतरीन गीत शास्त्री जी आप के शव्दों ने मन को बांध के रख दिया हृदय आनंदित हो गया उम्दा पंक्तियां .....समय चक्र में घूम रहे जब मीत बदल जाते हैं।
जवाब देंहटाएंउर अलिन्द में झूम रहे नवगीत मचल जाते है।।
बहुत सुन्दर रचना -
जवाब देंहटाएंबधाई गुरुवर ।।
बदले गीत-अगीत सब, बदल जाय संगीत ।
इक रचना बदले नहीं, भाव शून्य कुल रीत ।
भाव शून्य कुल रीत, खखोरे रचना रविकर ।
बदतमीज है चीज, सकल दुनिया से हटकर ।
हो बढ़िया श्रृंगार, बना दे वह वीभत्सी ।
सीढ़ी खुद को कहे, लोकप्रियता ले सस्ती ।।
जीवन का अवसान देख जब यौवन ढल जाता है,
जवाब देंहटाएंरंग-ढंग, आचरण, रीत और प्रीत बदल जाते हैं।।
बहुत सुन्दर !
vikramsingh bhadoriya
जवाब देंहटाएं4:39 pm
ati sundar geet ,akavita agey geeton, kee bheed main Ur vashi ke alind mein jhoomata kushumaakar sa machaltaa yah geet , apratim hai saadhubaad +Rupchandra shastri mayank ji.
कृष्ण-कन्हैया के माखन-नवनीत बदल जाते हैं।
जवाब देंहटाएंउर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते है।।
शब्दों का अद्भुत संगम ... आभार इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति के लिए
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंsmritio ki pitari se nikli bahut hi acchi prastuti,
जवाब देंहटाएंहोय पेट में रेचना, चना काबुली खाय ।
जवाब देंहटाएंउत्तम रचना देख के, चर्चा मंच चुराय ।
जीवन का अवसान देखरंग-ढंग आचरण रीत -प्रीत बदल जाते हैं --अतिसुंदर
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबृहस्पतिवार, 4 अक्तूबर 2012
"संगीत बदल जाते हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मित्रों!
अपनी डायरी से आज एक पुराना गीत
प्रस्तुत कर रहा हूँ!
समय चक्र में घूम रहे जब मीत बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे नवगीत मचल जाते है।।...(हैं )
जब मौसम अंगड़ाई लेकर झाँक रहा होता है,
नये सुरों के साथ सभी संगीत बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते है।।(हैं )
उपवन में जब नये पुष्प अवतरित हुआ करते हैं,
पल्लव-परिधानों के सब उपवीत बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते है।।(हैं )
चलते-चलते भुवन-भास्कर जब कुछ थक जाता है,
मुल्ला-पण्डित के पावन उद्-गीथ बदल जाते है।(हैं )
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते है।।(हैं )
जीवन का अवसान देख जब यौवन ढल जाता है,
रंग-ढंग, आचरण, रीत और प्रीत बदल जाते हैं।।
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते है।।(हैं )
रात अमावस में "मयंक" जब कारा में रहता है,
कृष्ण-कन्हैया के माखन-नवनीत बदल जाते हैं।
उर अलिन्द में झूम रहे कुछ गीत मचल जाते है।।(हैं )
जहां जहां हमने "हैं "किया है वह सांगीतिकता को बचाने के लिए भी ज़रूरी है लय ताल टूटी है वहां "है "के प्रयोग से .
बेहद सुन्दर गीत है भाई साहब .अब क्या करें गीत संगीत विरासत में मिला है सुर ताल बंदिश की समझ भी .
आप हमारे इस स्नेह को स्नेह समझते हैं इसके लिए आपका आभार .
आपका आभार भाई वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी!
जवाब देंहटाएंअब सुधार कर दिया गया है!
बात दरअसल ये हैं कि ऑन-लाइन लिखने में जल्दबाजी मैं बिन्दी छूट जाती है!
आपने याद दिलाया इसके लिए शुक्रिया!
आपके शब्द अत्यन्त सरलता से बहते हैं, बड़े प्रभावी हो बहते हैं।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी नमन |बहुत ही सुंदर गीत |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
करुण पुकार
सुंदर गीत ...शास्त्री जी......हमेशा की तरह ...!!
जवाब देंहटाएंbahut sunder saral rachna............
जवाब देंहटाएंआपका बड़प्पन .अब जब ब्लॉग वन मैन शो है और हम शो मैन ,सम्पादक भी प्रूफ रीडर भी मालिक भी ,हाकर भी तब परस्पर प्यार और इस प्रकार का सहयोग और स्वीकृति दोनों ज़रूरी हो जातीं हैं .एक दूसरे की रचनाओं का सम्पादन करें जहां लगे निस्संकोच भाव और उसे ग्रहण भी आपकी तरह सहृदयता के साथ किया जाए .रे -चना सा ऐंठा न जाए .हम दो अलग अलग काल खंडों में बैठे परस्पर संपृक्त हैं ब्लॉग के ज़रिए आपके यहाँ प्रभात है,प्रात :है (इसे कुछ लोग प्रात )लिख रहें हैं . यहाँ रात है .शब्बा खैर !
जवाब देंहटाएंवीरुभाई ,कैंटन ,मिशिगन
बहुत सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना !
जवाब देंहटाएं