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सोमवार, 29 अक्तूबर 2012
"रिश्वत में गुम हो गई प्राञ्जलता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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खूबसूरत
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST LINK...: खता,,,
प्रजातन्त्र का तो, हुआ "रूप" ओझल,
जवाब देंहटाएंयहाँ ज़िन्दगी अब नरक बन गई है।
बिलकुल, हालात एकदम यही हैं, सुन्दर वर्णन !
एक से बढ़कर एक गजल आ रही हैं
जवाब देंहटाएंगुरु जी आजकल-
बधाई स्वीकारें ||
रिश्वत अस्मत से रहे, किस्मत आज खरीद |
मंहगाई में रोज वे, मना रहे बकरीद |
मना रहे बकरीद, यहाँ पर होते फांके |
हवा रहे हम फांक, लगाते दुष्ट ठहाके |
तड़क-भड़क ये सड़क, करे उनका नित स्वागत |
किस्मत अपनी रोय, बचा के रखते अस्मत ||
क्या कहा जाए ! बात तो सही ही है !
जवाब देंहटाएंदेख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान...
~सादर !
उत्कृष्ट रचना..
जवाब देंहटाएंफिर शानदार रचना..
जवाब देंहटाएंएक अवगुण सभी गुणों पर ग्रहण लगा देता है...भ्रष्टाचार ऐसा ही दुर्गुण है जिसने हिंदुस्तान को नरक बना दिया है...
जवाब देंहटाएंकल तक सब कुछ अच्छा ही था, आज समझ से परे हो गया,
जवाब देंहटाएंजिनको स्थिर मानक समझा, उनका ही आधार खो गया।
प्रजातन्त्र का तो, हुआ "रूप" ओझल,
जवाब देंहटाएंयहाँ ज़िन्दगी अब नरक बन गई है।
बहुत सुन्दर रचना है बस चित्र असंगत है अब कौन मेज़ के नीचे से रिश्वत लेता है .क़ानून का फंडा डाल फंड खाता है आदमी ,सरे आम सुबह शाम तरक्की पाता है आदमी .
बहुत सुन्दर कुछ अलग तरह की सामयिक रचना बहुत पसंद आई बदलते परिवेश का सच्चा दर्पण बहुत बहुत बधाई आपको
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही ..
जवाब देंहटाएंआज की दुनिया वैसी ही है ..
कहाँ सादगी,कहाँ इमानदारी .... किसी भुल्भुलैये में गम है
जवाब देंहटाएंसही है जी ....इस गन्दी राजनीति ने सब कुछ बदल कर रख दिया है
जवाब देंहटाएं'रिश्वत के शैतान'को, दी है 'अच्छी चोट !
जवाब देंहटाएंबिना चोट के मिट नहीं,सकता है यह खोट !!
शैतानी यह खोट,मिटी इससे 'मानवता' |
'शैतानियत'जगाई,इसने,बढ़ा के'कटुता' ||
मीत, तुम्हारी बात सही है,मैं हूँ सहमत |
देश 'स्वर्ग'बन् जाय,अगर मिट जाये 'रिश्वत'||
teekhi rachna guru jee.....ati uttam...!!
जवाब देंहटाएंकल 02/11/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!