विजयादशमी
(दशहरा)
की
हार्दिक शुभकामनाएँ!
!!रावण या रक्तबीज!!
दशहरा है
राक्षसों
के
गगनचुम्बी
पुतले
मैदान
में सजे हैं
रामलीला
मैदान में
मेला लगा
है
लोगों की
भीड़ में
श्री राम
के
जय के
उद्घोष के साथ
पुतलों
का के साथ
युद्ध शुरू
हो चुका था
नवयुग की
यही तो
मर्दानगी है।
--
चार
बालाएँ
गुम हो
गई हैं
बार-बार
एक ही
प्रश्न
मन में
उठ रहा था
"रावण को तो राम ने
रामलीला
में मार दिया है’’
फिर किस
से राक्षस ने
चार
सीताओं का हरण किया।
--
रावण
आमआदमी नहीं
रक्तबीज
है कोई
एक मरता
है
हजार
जन्म ले लेते हैं
उन्हीं
में से
किसी ने
इन चार
सीताओं का
हरण किया
होगा!
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 24 अक्तूबर 2012
"!!रावण या रक्तबीज!!" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
इस युग में "रावण" होते तो फिर भी ठीक था
जवाब देंहटाएंकम से कम उसे धर्म अधर्म का ज्ञान तो था
चार चार सीता का हरण करने वालों को
रक्तबीज ही कहना उचित होगा ......आज की
स्थिति परिस्थिति का सही चित्रण ......
विजयादशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं
बढिया पोस्ट
जवाब देंहटाएंविजयदशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं
सच लिखा आपने । हर साल रावण को जलाते हैं और हर साल अपहरणों, बलात्कारों की संख्या में बढ़ोतरी होती है !
जवाब देंहटाएंबुराइयों को खत्म करें कागज़, लकड़ी को फूँकने से क्या लाभा !
रोष रावण पर निकलेगा..आप सबको भी विजयादशमी की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआज का सच कहती सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं.बहुत सुन्दर व् सार्थक अभिव्यक्ति .आपको विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआपसे मिलने अवश्य आना पड़ेगा. ढ़ेरो शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंचाहे जितना मारो, रक्तबीज रावण कभी नही मरेगा,,,,
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
RECENT POST...: विजयादशमी,,,
शुभकामनायें ||
जवाब देंहटाएंबढ़िया नवगीत ||
विजयादशमी की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
जवाब देंहटाएं♥(¯*•๑۩۞۩~*~विजयदशमी (दशहरा) की हार्दिक बधाई~*~۩۞۩๑•*¯)♥
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
संसद से सड़क तक रावण बहुत हो गए हैं .सबसे आसान काम है इस दौर में सीता का अपहरण .इतने राम कहाँ से लायें .सीता वज्र पहनकर आयें .
संसद से सड़क तक रावण बहुत हो गए हैं .सबसे आसान काम है इस दौर में सीता का अपहरण .इतने राम कहाँ से लायें .सीता वज्र पहनकर आयें .
जवाब देंहटाएंरावण घटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत जबरदस्त व्यंग्य पूर्ण प्रस्तुति बधाई आपको
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंAdd Happy Diwali Greetings to your blog - मित्रों को शुभ दीपावली बधाइयाँ दीजिए
सुंदर व्यंग्यपूर्ण प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंझंझोर दिया आपकी इस कविता ने .....आज का कटु सत्य ......सच में आज का रावण रक्त बीज की ही देन है ...जो हर युग में मिलेगा
जवाब देंहटाएंजितनी भी प्रशंसा करूँ,कम है .... आपके अनुभवी शब्दों ने स्तब्ध केर दिया है
जवाब देंहटाएं