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तगड़ी घूस की ताकत थी,
जवाब देंहटाएंपहुँच के बल पर छूट गया।
प्यारा भइया रूठ गया।।
वाह, बहुत ही सुन्दर शास्त्री जी !आज का सच बयान करती सुन्दर पंक्तियाँ !
तगड़ी घूस की ताकत थी,
जवाब देंहटाएंपहुँच के बल पर छूट गया।
बहुत अच्छी लगी प्रसून जी की रचना। धन्यवाद। कृ्प्या इस ब्लाग को भी देखें धन्यवाद।
http://veeranchalgatha.blogspot.com/
उत्तम रचना.
जवाब देंहटाएंप्रसून जी की रचना बढ़िया है... बढ़िया प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंचिट्ठाजगत की बत्ती जली मिली ... चिट्ठाजगत टीम को बधाई.
एक बेहद खूबसूरत कविता…………॥बेहद सुन्दर भाव्।
जवाब देंहटाएंवाह, आनन्द आ गया पढ़कर। सत्य उधेड़कर रख दिया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शास्त्री जी इस तगडी घुस के लिये भईया ने तगडी घुस भी ली हो गी, धन्यवाद इस सत्य के लिये
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंvery good shashtri darling
जवाब देंहटाएंवाह वाह !
जवाब देंहटाएंहकीकत बयां करती उत्तम रचना......
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जवाब देंहटाएंपहुँच के बल पर छूट गया।
प्यारा भइया रूठ गया।।
बहुत अच्छी लगी रचना।
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बहुत सुंदर रचना.. सहजता से कही गई गंभीर बातें.. इमानदार लोगो के साथ ऐसा ही होता है..
जवाब देंहटाएंसहा न उससे झूठ गया।
प्यारा भइया रूठ गया।।
प्रसून भइया की रचना तो बहुत सुन्दर लगाई है!
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सक्रियता क्रमांक 9 पर आने के लिए आपको बधाई!
तगड़ी घूस की ताकत थी,
जवाब देंहटाएंपहुँच के बल पर छूट गया।
प्यारा भइया रूठ गया।। ...
हर पंक्ति सच की बयानी कर रही है .... नमस्कार शास्त्री जी ...