किसी ज़माने में गाली था इंसान को जानवर कहना -- और अब जानवरों को गाली देना है इंसान को जानवर कहना लेकिन पशुओं की नियति है चुपचाप सब कुछ सहना -- क्योंकि अब जानवर सभ्य है और आदमी असभ्य है नियम से रहता है कुछ नही कहता है -- यही तो अन्तर है सभ्यताओं का! |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
bahut sarthak kavita!
जवाब देंहटाएंथोड़े से स्वार्थ के लिए जानवरों पर अत्याचार किया जाता है और उनके परिणामों के बारे में कोई नहीं सोचता। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी पर - ये अंधेरों में लिखे हैं गीत!
मनोज पर -आंच – समीक्षा डॉ. जे. पी. तिवारी की कविता ‘तन सावित्री मन नचिकेता’
वाकई यही अंतर है।
जवाब देंहटाएंक्योंकि अब
जवाब देंहटाएंजानवर सभ्य है
और आदमी
असभ्य है
नियम से रहता है
कुछ नही कहता है
--
यही तो अन्तर है
सभ्यताओं का
क्या बात है सच कहा है ..हम फिर से जा रहे हैं पाषाण काल में.
जी हाँ यही अंतर है
जवाब देंहटाएंयही तो अन्तर है
जवाब देंहटाएंसभ्यताओं का !क्या बात है, बधाई!
बिल्कुल यही अन्तर है... जानवर को आदमी कहने से शायद वह नाराज हो जायेगा.
जवाब देंहटाएंसत्य वचन जी आप से सहमत हे,
जवाब देंहटाएंक्योंकि अब
जवाब देंहटाएंजानवर सभ्य है
और आदमी
असभ्य है
-----------------
बहुत सुन्दरता से सभ्यता का अंतर बता दिया आपने.....ऐसा ही है.....
बहुत सच कहा है आपने।
जवाब देंहटाएंसच बयान करती रचना...
जवाब देंहटाएंहद तो ये है कि हम खुश हैं..
कि हम सभ्य हो गए हैं.
बहुत सुन्दर कवित. नये अन्दाज़ में लिखी हुई.
जवाब देंहटाएंक्योंकि अब
जवाब देंहटाएंजानवर सभ्य है
और आदमी
असभ्य है
u r right. achchi kavita
बिल्कुल यही अन्तर है... बहुत सुन्दर कवित!
जवाब देंहटाएंSorry for my bad english. Thank you so much for your good post. Your post helped me in my college assignment, If you can provide me more details please email me.
जवाब देंहटाएंबेनामी ने आपकी पोस्ट " “सभ्यताओं का अन्तर!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयं... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंSorry for my bad english. Thank you so much for your good post. Your post helped me in my college assignment, If you can provide me more details please email me.
--
बेनामी जी!
यह भी तो बता दीजिए कि मैं मेल कहाँ करूँ?
आप तो स्वयं ही बेनामी के रूप में सामने आये हैं!
नियम से रहता है
जवाब देंहटाएंकुछ नही कहता है
Shukriya share karne ke liya
Hi, Papa ji, I am K. K. verma, from Mumbai I saw your blog today, I like it.
जवाब देंहटाएं