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बहुत ही सुंदर कविता ...
जवाब देंहटाएंआओं देखें आज क्यों और कैसे ?विज्ञान मे क्या हलचल है
आओं देखें आज विज्ञान गतिविधियाँ मे क्या हलचल है
प्रशंसनीय ।
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
जवाब देंहटाएंवाह !
कमबख़्त मन की आदत ही है, जब तब उदास हो जाना। मेरे साथ भी अक्सर ऐसा ही होता हे।...अच्छी लगी आपकी कविता।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर रचना जी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत खूब///
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavita
जवाब देंहटाएंhttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (11/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी |बहुत भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंहै बधाई
मुझे आपकी टिप्पणी का अपनी हर पोस्ट पर इन्तजार रहता है क्यों कि वह बहुत सही होती है |
आपको भी नव रात्रि की हार्दिक शुभ कामनाएं |
आशा
सही बात है. कभी-कभी बरसात मन को बोझिल भी करती है.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंNice and true expressions in down-to-earth terms.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ हैं...
जवाब देंहटाएंउम्मीद खुशियाँ बेमानी हैं
जवाब देंहटाएंपथ कँटीला किस्मत ने बोया
कुछ और साँसे बोझिल सही
जब बोझ अनचाहा इतना ढोया!
मैं बारिश के साथ रोया
उदासी के पलों को शब्द दे कर खूबसूरत बना दिया। उदासी भी जीवन मे जरूरी है नही तो खुशी की पहचान क्या रह जायेगी।डा. जोशी जी को बहुत बहुत शुभकामनायें।
बढ़िया लिख रहे है चन्द्रशेखर जी और यहाँ उन्हे प्रस्तुत कर आप और भी बढ़िया काम कर रहे हैं । यह अभिव्यक्ति पाठकों तक पहुँचाकर ।
जवाब देंहटाएं"तन-मन तार-तार भिगोया
जवाब देंहटाएंसुख-दुख इक हार पिरोया
लगें पलकें तो फिर न जागूँ
ऐसे मैं उस रात सोया "...
कहा जा रहा है कि डॉक्टर असंवेदनशील होते जा रहे हैं.. डॉ. जोशी जी की यह रचना उनके कोमल ह्रदय को दिखा रही हैं.. आशा है उनकी यह कोमलता उनके पेशे में आकर लोगों को लाभान्वित कर रही होगी.. सुंदर कविता है..
आज फिर उदास मन
जवाब देंहटाएंजैसे कोई मीत खोया
छुपाने को निकले आँसू
मैं बारिश के साथ रोया
बहुत संवेदनशील रचना ..
sundar abhivyakti!joshi ji ko dher sari shubhkamnayen!
जवाब देंहटाएंआभार........
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