बहुत दिनों से "उच्चारण" पर बच्चों के लिए कुछ नही लगा पाया हूँ! आज "बन्दर की व्यथा" शीर्षक से प्रस्तुत है यह बालगीत - |
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chitron ke saath bal kavita ka mail bahut pyara laga
जवाब देंहटाएंबहुत बढियाँ.
जवाब देंहटाएंबन्दर वैसे भी बच्चों को बहुत भाता है.
इसे झूम-झूम कर गाने और गा-गा कर झूमने का मन कर गया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंवाह चित्रों के साथ बन्दर गीत बहुत बढ़िया रहा.
जवाब देंहटाएंसुंदर। बच्चों को भाने और याद हो जाने वाला बालगीत।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना! बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल गीत है . फोटो भी जोरदार लगाए हैं .. पढ़कर बचपना याद आ गया... सुन्दर प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंaaj to maze hee kar diye aapne....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता जी, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर बाल गीत है...
जवाब देंहटाएंवाह कितनी अच्छी कविता .... आपने फोटो भी बड़े मजेदार लगाये हैं....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसुंदर बाल गीत है
जवाब देंहटाएंसभी जानवर परेशान हैं, नर-पशुओं को छोड़कर..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लगा बाल गीत, और इन बंदरो की तस्वीर और भी अच्छी...
जवाब देंहटाएंregards
आजकल कहाँ नजर आते हैं मदारी , और कहाँ बच्चों को इतनी फुर्सत ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल गीत ..!
यह बानर-गीत तो मजेदार है...चित्र भी लाजवाब.
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर बाल गीत चित्रो के साथ बहुत सुन्दर लगा।
जवाब देंहटाएंबन्दर विषयक ऐसा गीत पहली बार पढ़ा.
जवाब देंहटाएंमुझे हमेशा बच्चों के लिए लिखना बहुत कठिन काम लगता है । आप इतनी सहजता से कैसे लिख लेते हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सहज सरल भोली अभिव्यक्ति
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