आज प्रस्तुत है! " भूली हुई याद " |
एक भूली हुयी याद मेरे दिल को दुखा जाती है। तेरी तस्वीर मेरे दिल के आईने में समा जाती है।। सिलसिला प्यार की यादों का फिर नहीं थमता, वेवजह आके तेरी याद सता जाती है। ये न पूछो कि मेरे कैसे दिन और रात कटे, याद आती है तेरी दिल मेरा दीवाना बना जाती है। घिर के यादों में निकलने का रास्ता नहीं मिलता, आग तन-मन में मेरे अब भी लगा जाती है। अब तो कांटे नहीं करती हैं अंधेरी रातें, मेरे जज्बात को ‘बदनाम’ बना जाती है। गुरू सहाय भटनागर "बदनाम" आवास-विकास, खटीमा (उत्तराखण्ड) |
सिलसिला प्यार की यादों का फिर नहीं थमता,
जवाब देंहटाएंवेवजह आके तेरी याद सता जाती है ।
गुरू सहाय भटनागर बदनाम जी रचना बहुत बढ़िया लगी ... आभार प्रस्तुति के लिए
sundar rachna!
जवाब देंहटाएंthanks for sharing!
गुरू सहाय भटनागर बदनाम जी रचना बहुत अच्छी लगी ... आभार प्रस्तुति के लिए
जवाब देंहटाएंआप ओर आप के परिवार को दुर्गाष्टमी की बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
" behatarin rachana "
जवाब देंहटाएंएक भूली हुयी याद मेरे दिल को दुखा जाती है।
तेरी तस्वीर मेरे दिल के आईने में समा जाती है।।
---- eksacchai { AAWAZ }
बहुत सुंदर रचना....प्रस्तुति के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंवाह वाह …………बहुत ही सुन्दर गज़ल्। हर शेर बेहतरीन्।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पंक्तियाँ, भटनागर जी से परिचय कराने का आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना, दुर्गा नवमी एवम दशहरा पर्व की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.