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सोमवार, 3 अक्तूबर 2011
"वो दूर हो गये हैं..." ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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वाह, बहुत अच्छा।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई ||
शानदार प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएं♥
जवाब देंहटाएंडॉ.रूपचन्द्र शास्त्री चाचा मयंक जी
प्रणाम !
ओह ! हक़ीक़त का यह भी एक चेहरा है -
सपने हुए सयाने, सच को लगे चिढ़ाने,
अब देखकर हकीकत, काफूर हो गये हैं।
मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
गीत अच्छा है … बधाई !
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व एवं दुर्गा पूजा की बधाई-शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत ही खूबसूरत.
जवाब देंहटाएंवो जब तलक थे जिंदा,फटका नहीं परिंदा
रिश्ते समस्त खट्टे - अंगूर हो गये हैं.
सम्मान हो रहा है , गुणगान हो रहा है
मरने के बाद कितने, मशहूर हो गये हैं.
सुंदर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत सर,
जवाब देंहटाएंसादर...
बढिया।
जवाब देंहटाएंअच्छा कलाम है।
जवाब देंहटाएंदूरी पर एक शेर यहां भी है,
ज़ुबां से कहूं तो है तौहीन उनकी
वो ख़ुद जानते हैं मैं क्या चाहता हूं
-अफ़ज़ल मंगलौरी
जब से छुआ है तुझको महकने लगा बदन
फ़ुरक़त ने तेरी मुझको संदल बना दिया
-अलीम वाजिद
http://mushayera.blogspot.com/2011/10/blog-post_04.html
khoobsurat
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है आपने! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंफिर भी,सपने ज़रूरी हैं। कुछ पल तो हो सुकून का।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर ग़ज़ल .
जवाब देंहटाएंमगरूर का गुरूर तो टूट ही जाता है .
bahut sundar,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ! बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंsach ki pairvi karte hue teekhe kataaksh baan chal rahe hai magar na jane nishana kaun hai.
जवाब देंहटाएंsunder prastuti.
अत्यंत सुंदर भाव, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बढ़िया !
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की शुभकामनाएं!