दीन के कुटीर में भी इक दिया जलाइए। पर्व है प्रकाश का, दीप जगमगाइए।। घर के साथ-साथ अपने मन को साफ कीजिए, एकता-अखण्डता की, अल्पना सजाइए। उग रहीं हैं आस-पास कंटकों की झाड़ियाँ, उनको काट-छाँट, एक पेड़ तो लगाइए। बाँटिए मिठास को, खाइए मिठाइयाँ, अपने साथ-साथ, दूसरों को भी खिलाइए। आदिदेव-लक्ष्मी, कृपा करेंगे आप पर, माँ सरस्वती को आज भूल मत जाइए। जुआ मत खेलिए, सुरा न आज पीजिए, रौशनी के साथ, रौद्र “रूप” मत दिखाइए। |
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गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011
"पर्व है प्रकाश का, दीप जगमगाइए" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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घर के साथ-साथ अपने मन को साफ कीजिए,
जवाब देंहटाएंएकता-अखण्डता की, अल्पना सजाइए।
बाँटिए मिठास को, लाइए मिठाइयाँ,
अपने साथ-साथ, दूसरों को भी खिलाइए।
बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने! ख़ूबसूरत रचना!
दीवाली की बहुत बहुत शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंbahut sundar shikshprad bhaav hain rachna me.diwali ki shubhkamnaayen.
जवाब देंहटाएंshibhkaamnaayein
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक भावनाओं पर आधारित सुंदर कविता. आभार. ज्योतिपर्व दीपावली की अग्रिम बधाई और शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरचना चर्चा-मंच पर, शोभित सब उत्कृष्ट |
जवाब देंहटाएंसंग में परिचय-श्रृंखला, करती हैं आकृष्ट |
शुक्रवारीय चर्चा मंच
http://charchamanch.blogspot.com/
सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंदीवाली का माहौल बनने लगा.....
दीपावली की ...बहुत बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआप को ,आप के चाहने वालों को दीपावली की
जवाब देंहटाएंमुबारक और शुभकामनायें !
सुन्दर संदेश देती सार्थक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंsunder prerna deti rachna.
जवाब देंहटाएंsundar saarthak kavita. diwali ki agrim badhaii
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक बढ़िया प्रस्तुति सर ..... दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें in advance ... :)
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,नमस्कार
जवाब देंहटाएंमै पहली बार आपके ब्लॉग में आया,रचनाये पढ़ी मुझे बहुत लगी,दींन के कुटीर में भी एक दिया जलाइए, संदेश देती रचना,बधाई..समर्थक भी बन गया हूँ
सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबधाई
आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
जवाब देंहटाएंसादर
Bahut sunder,
जवाब देंहटाएंapko S-PARIWAR deep parw ki hardik subhkamnaye.
Sadar
Ravi
bahut sunder likhe hain.....
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