मतलबी संसार में गुम हो गया किरदार है हर जगह पर हो रहा ईमान का व्यापार है कंटकों ने ओढ़ ली, चूनर सुमन की चमन में हाथ मत आगे बढ़ाना, बेध देगा ख़ार है क्या खिलाएँ और खाएँ, है मिठासों में जहर, ज़िन्दगी को मुँह चिढ़ाते, नाम के त्यौहार हैं डाल पर बैठा परिन्दा, सोच में बैठा हुआ खेत से दानों का, सारा मिट गया भण्डार है अब नहीं बाकी बचा, कुछ भी फ़िजाओं में हुनर शालीनता के भेष में, अश्लीलता दमदार है दिल की कोटर में, छिपा बैठा मलिन-मन मनचले भँवरे को केवल “रूप” से ही प्यार है |
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सोमवार, 31 अक्तूबर 2011
"गुम हो गया किरदार है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बेहद सुन्दर और सटीक बात कही है आपने ...जमाने की पोल पट्टी.. सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंसामाजिक सत्य को बिम्बों से व्यक्त करती कविता।
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी को मुँह चिढ़ाते, नाम के त्यौहार हैं
जवाब देंहटाएंसटीक बात!
बहुत ही संदेशपूर्ण व यथार्थपरक रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही बढि़या ।
जवाब देंहटाएंक्या खिलाएँ और खाएँ, है मिठासों में जहर, ज़िन्दगी को मुँह चिढ़ाते, नाम के त्यौहार हैं
जवाब देंहटाएंलाज़बाब शास्त्री जी !
दिल की कोटर में, छिपा बैठा मलिन-मनमनचले भँवरे को केवल “रूप” से ही प्यार है........bahut khoob babu ji...aabhar
जवाब देंहटाएंशानदार ग़ज़ल सर,
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
सटीक, संदेशपरक रचना.
जवाब देंहटाएंbehtreeen....
जवाब देंहटाएंसुन्दर ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंसंदेशपरक सुन्दर ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंsunder gazal jo sandesh ke sath chupke se khari khari si baat kahti hui.
जवाब देंहटाएंमतलबी संसार में गुम हो गया किरदार है
जवाब देंहटाएंहर जगह पर हो रहा ईमान का व्यापार है
अब नहीं बाकी बचा, कुछ भी फ़िजाओं में हुनर
शालीनता के भेष में, अश्लीलता दमदार है
सटीक,सुन्दर ग़ज़ल........!!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंडाल पर बैठा परिन्दा, सोच में बैठा हुआ
जवाब देंहटाएंखेत से दानों का, सारा मिट गया भण्डार है..
सटीक लिखा है आपने! तस्वीर बहुत सुन्दर है, बोलती हुई तस्वीर है! सुन्दर सन्देश देती हुई उम्दा रचना!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
aaapki manmohak rachnaao se humein pyaar hai....
जवाब देंहटाएंसुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत ही संदेशपूर्ण व यथार्थपरक रचना|
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही बढि़या ।
जवाब देंहटाएंbahut hi acchi prastuti..
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