गीत-ग़ज़ल, दोहा-चौपाई, गूँथ-गूँथ कर हार सजाया। नवयुग का व्यामोह छोड़कर , हमने छन्दों को अपनाया। कल्पनाओं में डूबे जब भी, सुख से नहीं सोए रातों को। कम्प्यूटर पर अंकित करके, कहा आपसे सब बातों को।। जब मौसम ने ली अँगड़ाई, हमने उसका गीत बनाया। वासन्ती उपवन के हर पत्ते-बूटे को मीत बनाया।। आमों के बागों में आकर, जब कोयल ने गान सुनाया। तब हमने भी कोयलिया के सुर में अपना शब्द मिलाया।। मन आनन्दित हो जाता जब, बच्चों की सुनकर किलकारी। हमने भी बच्चा बनकर तब, चहका दी नन्हीं फुलवारी।। मनीषियों की सेवा करने का, जब भी अवसर पा जाते। साथ हमारे सब घर वाले, मन में फूले नहीं समाते।। इसीलिए तो आज हमारी, खिलती बगिया है प्रतिपल। उन सबका आशीष हमारे, सुख-वैभव का है सम्बल।। |
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बुधवार, 12 अक्टूबर 2011
"सुख-वैभव का सम्बल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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इसीलिए तो आज हमारी,
जवाब देंहटाएंखिलती बगिया प्रतिपल है।
उन सबका आशीष हमारे,
सुख-वैभव का सम्बल है।।....bahut sundar...
बढ़िया प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंहमारी बधाई स्वीकारें ||
कल्पनाओं में डूबे जब भी,
जवाब देंहटाएंसुख से नहीं सोए रातों को।
कम्प्यूटर पर अंकित करके,
कहा आपसे सब बातों को।।
बहुत ही खुबसूरत रचना .....
मन आनन्दित हो जाता जब,
जवाब देंहटाएंबच्चों की सुनकर किलकारी।
हमने भी बच्चा बनकर तब,
चहका दी नन्हीं फुलवारी।।
बहुत सुन्दर...
आपकी रचनाएं खास है..बहुत सुन्दर ..छंद दोहे ..मात्राओं के साथ नैसर्गिक भावों का सुन्दर वर्णन ...उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत रचना! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गई!
जवाब देंहटाएंऐसा ही जीवन बढ़ता रहे, और क्या?
जवाब देंहटाएंआपके कमिटमेंट को सलाम...जितनी तत्परता से आप ब्लॉग लिख रहे हैं...हमारे जैसे आलसी ब्लागरों को प्रेरणा लेनी चाहिए...
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट काव्य और उसकी विविधता तो हमें यहीं मिलती है।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतिकरण।
जवाब देंहटाएंमन को छूती बढ़िया कविता...
जवाब देंहटाएंman ko chhooti sunder kavita..
जवाब देंहटाएंबहुत उत्तम लेखन बहुत प्रभावित करता है |
जवाब देंहटाएंआशा
Sundar rachna jo kavi man ke bhavon ko sahi dhang se vyakt karti hai
जवाब देंहटाएंमन आनन्दित हो जाता जब,
जवाब देंहटाएंबच्चों की सुनकर किलकारी।
हमने भी बच्चा बनकर तब,
चहका दी नन्हीं फुलवारी।।
bahut umda...sunder rachna.
निश्छल हृदय की अभिव्यक्ति .वाह !!!
जवाब देंहटाएंनव-युग का व्यामोह न भाया
परम्परागत को अपनाया.
विषय- पुष्प प्रकृति से चुनकर
शारद के मंदिर में चढ़ाया.
इसीलिए तो आज हमारी,
जवाब देंहटाएंखिलती बगिया है प्रतिपल।
उन सबका आशीष हमारे,
सुख-वैभव का है सम्बल।।
kya khoobsoorat ant kiya hai!!
कल्पनाओं में डूबे जब भी,
जवाब देंहटाएंसुख से नहीं सोए रातों को।
कम्प्यूटर पर अंकित करके,
कहा आपसे सब बातों को।।
बहुत मनभावन प्रस्तुति।
बहुत सुंदर रचना!
जवाब देंहटाएंमनभावन रचना!
आपका उत्साह देखते ही बनता है... बहुत बहुत शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत सर,
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
हम ऐसे काम करें कि हमें आशिर्वाद मिलते रहें और हमारी फुलवारी महकती रहे खिलती रहे ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत ।