उत्तर से दक्षिण को भू पर। बहती जल की धार निरन्तर।। संसर्गों में जो भी आता, तन-मन से पावन हो जाता, अवगुण हो जाते छूमन्तर। बहती जल की धार निरन्तर।। सुनकर कलकल-छलछल के सुर, आनन्दित हो जाता है उर, निर्मल हो जाता है अन्तर। बहती जल की धार निरन्तर।। कुदरत का है साज अनोखा, इसमें नही बनावट-धोखा, चलता जाता चक्र निरन्तर। बहती जल की धार निरन्तर।। |
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मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011
"बहती जल की धार निरन्तर" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहती जल की धार निरन्तर।।
जवाब देंहटाएंbahut sunder.......
इस निर्मल धारा के क्या कहने?
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna.nirmal jal ki tarah.
जवाब देंहटाएंभाव कि निर्मल धार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर धार बहायी है सब पावन हो गया।
जवाब देंहटाएंati sundar rachana...
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar prastuti...
सबको मिलता रहता जीवन।
जवाब देंहटाएंबहती रहे ये निर्मल धारा निरंतर प्रतिपल....सुन्दर अभिव्यक्ति...आभार..
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंजीवन चलने का नाम.....सही बात !
जवाब देंहटाएंसरसंगों में जो भी आता,
जवाब देंहटाएंतन मन से पावन हो जाता
अवगुण हो जाते छूमंतर
बहती जल कि धारा निरंतर
वाह वाह बहुत खूब सर हमेशा कि तरह एक और सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ....
डॉ. साहिब,
जवाब देंहटाएंयह कलकल धार बहा ले गई अपने साथ यादों के सफर में। इसी वर्ष जून-जुलाई में मैं माँ-पिताजी के साथ श्री बद्रीविशाल, केदारनाथ धाम होके आया हूँ।
इस गीत ने यादें हरी कर दी.......यही इस रचना-शिल्प की सफलता भी है।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
प्रकृति ने तो दिया ही है। पर थोड़ा दायित्व हमारा भी है इनकी पवित्रता बनाए रखने का।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट और भावपूर्ण रचना,बधाई!
जवाब देंहटाएंAchhi rachna.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें ||
बहते रहना ही जीवन है।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
aapki rachnaaon se sneh nirantar
जवाब देंहटाएंसरल शब्द, सरस भाव
जवाब देंहटाएंकुदरत का है साज अनोखा,
जवाब देंहटाएंइसमें नही बनावट-धोखा,
चलता जाता चक्र निरन्तर।
बहती जल की
धार निरन्तर।।
इस आनंदातिरेक में हम भी आपके संग है .मुबारक .जहां जहां प्रवाह है ,सर्क्युलेशन है वहां वहां जीवन है जड़ता मृत्यु है .मृत्यु फिर जीवन की ही निरंतरता है .जल का बहना जल स्रोतों से नेहा जैव स्तर पर भी स्वाभाविक है हमारा बहुलांश भी तो जल ही है .और सर्क्युलेशन जीवन का होना है .
बहुत पावन और सुन्दर जल धारा...
जवाब देंहटाएं"कुदरत का है साज अनोखा,
जवाब देंहटाएंइसमें नही बनावट-धोखा,
चलता जाता चक्र निरन्तर।
बहती जल की धार निरन्तर।।"
कुदरत की पवित्रता हर सू नज़र आती है...
यहाँ से वहां तक..
कभी उत्तर से दक्षिण
और कभी पूरब से पश्चिम तक.....!!
और इस खूबसूरत रचना को पढ़ कर...
"आनन्दित हो जाता है उर,
निर्मल हो जाता है अन्तर।"
ये जीवन भी इसी जल की धार की तरह बहता रहे तो क्या अच्छा हो ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत सर,
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...