दोहा गीत तन के उजले मन के गन्दे। कितने बदल गये हैं बन्दे।। शब्दकोश तक रह गया, अब तो जग में प्यार। केवल सुख के वास्ते, करते सब व्यापार।। भोग-विलासों में सब अन्धे। कितने बदल गये हैं बन्दे।। मतलब में पहचानते, करते प्यार-अपार। हित-साधन के बाद में, देते हैं दुत्कार।। निशिदिन फेंक रहे हैं फन्दे। कितने बदल गये हैं बन्दे।। ग्राम-नगर, परदेश में, फैला इनका जाल। कुटिलचाल चलते हुए, कमा रहे है माल।। दुनिया भर में फैले धन्धे। कितने बदल गये हैं बन्दे।। |
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रविवार, 12 अगस्त 2012
"दोहा गीत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शब्दकोश तक रह गया, अब तो जग में प्यार।
जवाब देंहटाएंकेवल सुख के वास्ते, करते सब व्यापार।।-------------बहुत गहन बात सटीक कटाक्ष बहुत अच्छी प्रस्तुति
दोहा ग़ज़ल ! यह तो कोई नया काव्यरूप लग रहा है । बढ़िया ! सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंuttam
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी ...
जवाब देंहटाएं--- शायद आपको पसंद आये ---
1. DISQUS 2012 और Blogger की जुगलबंदी
2. न मंज़िल हूँ न मंज़िल आशना हूँ
3. ज़िन्दगी धूल की तरह
बहुत सुन्दर। दोहा ग़ज़ल ! एक नया काव्य-रूप! अनूप !
जवाब देंहटाएंnice !
जवाब देंहटाएंdoha ghazal !!a new form of poetry !
वाह: बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंमतलब में पहचानते, करते प्यार-अपार।
जवाब देंहटाएंहित-साधन के बाद में, देते हैं दुत्कार।।
निशिदिन फेंक रहे हैं फन्दे।
कितने बदल गये हैं बन्दे।।
दोहा गीत एक अलग विधा मे बहुत कडवी सच्चाइयाँ कह दीं। बहुत सुन्दर
बहुत अच्छे लगे दोहे सत्य बयान करते |
जवाब देंहटाएंआशा
उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंवाह!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया शास्त्री जी....
आपकी हर रचना एक सबक है हमारे लिए...
सादर
अनु
निशिदिन फेंक रहे हैं फन्दे।
जवाब देंहटाएंकितने बदल गये हैं बन्दे।।(चलते बनते लेकर चंदे/शातिर ये दुनिया के बंदे ...) दुनिया भर में फैले धन्धे।
कितने बदल गये हैं बन्दे।।(स्विस बैंक तक इनके फंदे ,डॉलर सबके ,हाथ हैं गंदे ..)बढिया रचना है शास्त्री जी ..... .कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 11 अगस्त 2012
कंधों , बाजू और हाथों की तकलीफों के लिए भी है का -इरो -प्रेक्टिक
sahi kaha log vastav me badal chuke hain.nice presentation.प्रोन्नति में आरक्षण :सरकार झुकना छोड़े
जवाब देंहटाएंsahi kaha aadmi vastav me badal gaya hai.nice presentation.प्रोन्नति में आरक्षण :सरकार झुकना छोड़े
जवाब देंहटाएंशब्दकोष तक रहा गया अब तो सिर्फ प्यार
जवाब देंहटाएंरिश्ते व्यापार की शक्ल जो लेने लगे हैं !
सत्य वचन !
सब रखते बिल्ली के पंजे
जवाब देंहटाएंकितने बदल गये हैं बंदे!
gandaa hai par dhandha hai ye!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन है !
जवाब देंहटाएंबड़ी सच्ची बात कही है आपने, वह भी बड़ी सरलता से..
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जी
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही और सटीक बात कही है आपने शास्त्री जी आभार..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया गीत, शुभकामनाएँ.
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