आज ही वापिस लौटा हूँ।
प्रस्तुत कर रहा हूँ।
यदि सम्भव हुआ तो
देहरादून के कुदरती नज़ारे
और अब आ रहा है देहरादून से पहले
डोईवाला स्टेशन
28-08-2012 की शाम
उत्तराखण्ड सरकार में काबीना मन्त्री
मा.यशपाल आर्य के साथ
देहरादून में मेरी पौत्री प्राची
और ये हैं प्रियपौत्र प्रांजल
प्रांजल और प्राची अपने पापा के साथ
अरे वाह!
29 की दोपहर आकाश में
बादलों की आँख-मिचौली
शाम को हम लोग कार से घूमने भी गये।
डॉ. नूतन डिमरी गैरौला के निवास पर
उन्हें मैंने पुस्तकें भेंट कीं।
और ये है डॉ.साहिबा का ड्राइंगरूम।
अब शाम हो गई है
चलों अपने घर चलें।
डॉ.नूतन गैरौला ने इस अवसर पर
मुझे अपना काव्यसंकल भी भेंट किया!
शानदार तस्वीरें हैं शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर तस्वीरें
जवाब देंहटाएंलखनऊ,देहरादून
बढिया
आदरणीय सरजी, बहुत सुंदर..!! आप बड़े भाग्यवान हैं जी, जो आपने कुदरत का सानिध्य अनुभव किया । आप को ढेरों बधाईयाँ ।
जवाब देंहटाएंमार्कण्ड दवे।
बहुत बढ़िया यात्रा हो गयी है आपकी सर जी..
जवाब देंहटाएंलखनऊ और देहरादून की...
:-) :-)
nice pics shastri ji
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंचित्र पूरी कथा कह रहे हैं।
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह.... बढ़िया फोटो ग्राफ्स... पूरे समारोह का नज़ारा हो गया....
जवाब देंहटाएंवाह वाह शास्त्री जी क्या खूबसूरत नजारा है . ब्लागर-मिलन,परिवार-मिलन और प्रकृति-दर्शन.
जवाब देंहटाएंक्या शास्त्री जी कितना काम कर लेतें हैं आप लगन से अथक रूप ,बधाई इस चित्रावली के लिए ,इनाम पाने के लिए ,सम्मलेन में हमारी अप्रत्यक्ष शिरकत कर वादी आपने .,यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंबृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2012
लम्पटता के मानी क्या हैं ?
लम्पटता के मानी क्या हैं ?
लम्पटता के मानी क्या हैं ?
कई मर्तबा व्यक्ति जो कहना चाहता है वह नहीं कह पाता उसे उपयुक्त शब्द नहीं मिलतें हैं .अब कोई भले किसी अखबार का सम्पादक हो उसके लिए यह ज़रूरी नहीं है वह भाषा का सही ज्ञाता भी हो हर शब्द की ध्वनी और संस्कार से वाकिफ हो ही .लखनऊ सम्मलेन में एक अखबार से लम्पट शब्द प्रयोग में यही गडबडी हुई है .
हो सकता है अखबार कहना यह चाहता हों ,ब्लोगर छपास लोलुप ,छपास के लिए उतावले रहतें हैं बिना विषय की गहराई में जाए छाप देतें हैं पोस्ट .
बेशक लम्पट शब्द इच्छा और लालसा के रूप में कभी प्रयोग होता था अब इसका अर्थ रूढ़ हो चुका है :
"कामुकता में जो बारहा डुबकी लगाता है वह लम्पट कहलाता है "
अखबार के उस लिखाड़ी को क्षमा इसलिए किया जा सकता है ,उसे उपयुक्त शब्द नहीं मिला ,पटरी से उतरा हुआ शब्द मिला .जब सम्पादक बंधू को इस शब्द का मतलब समझ आया होगा वह भी खुश नहीं हुए होंगें .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
ram ram bhai
खिसियानी बिल्ली की तरह ब्लॉग आयोजनों पर सवाल उठाने वाले मा0 शुकुल महाराज से निवेदन है कि पाबला जी द्वारा चर्चा में लाए गये उनके चेले के ब्लॉग घोटाले पर भी अपना प्रवचन देने की कृपा करें।
जवाब देंहटाएंचर्चित संस्था 'कैग' ने वर्धा के अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में अनियमितता और घोटाले का पर्दाफ़ाश किया है
यह वही हिंदी विश्वविद्यालय है जिसमें उत्तर प्रदेश के एक लेखाधिकारी, जो हिंदी ब्लॉगर भी हैं, प्रतिनियुक्ति पर आए थे लेकिन समय पूर्व ही 'भाग' खड़े हुए!
इन्हीं के ब्लॉग को सरकारी अनुदान दिया गया और इसी विश्वविद्यालय ने सरकारी खर्चे पर ब्लॉगर बुला कर, ब्लॉगर सम्मेलन भी करवाया गया था
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2012-08-29/nagpur/33474958_1_special-audit-audit-report-cag
कृपया बताने का कष्ट करें कि किसी ब्लॉग को चलाने के लिए किस प्रकार के अनुदान की आवश्यकता पड़ती है। जहाँतक मुझे पता है फिलहाल कोई भी ब्लॉग किसी अनुदान का मोहताज नहीं होता।
हटाएंहिन्दी ब्लॉग जगत के महत्व को देखते हुए यदि हिन्दी के विकास को लक्ष्य करने वाला विश्वविद्यालय कोई सेमिनार आयोजित करता है और उसमें किसी ब्लॉगर का सहयोग प्राप्त करता है तो इसमें आपत्तिजनक क्या है?
वर्धा विश्वविद्यालय से ‘भाग’ खड़े हुए’ बहुत हास्यास्पद और शरारती टिप्पणी है। अपने लिए सही नौकरी का चुनाव करना या नौकरी बदल लेना किसी का भी निजी अधिकार है। इसपर दिमाग खर्च करने से बेहतर दूसरे कार्य हैं जो इस कथित अंटी करप्शन टीम को करना चाहिए।
आज-कल यह ब्लॉगर बन्धु दूसरों को गुरू-चेला घोषित करने में बहुत लगे हुए हैं। बहुत अशोभनीय है यह। कृपया इसे व्यक्तिगत पसन्द तक सीमित रखना चाहें।
शानदार तस्वीरें हैं शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी को ईनाम के लिए बहुत-बहुत बधाई !तस्वीरों ने तो हमें भी कार्यक्रम की झलक दिखला दी। बहुत सुंदर तस्वीरें हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर तस्वीरें
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रावली शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंशास्त्री चाचा जी ...आपका तहे दिल शुक्रिया ..आप परिवार सहित हमारे घर में आये ... और प्रन्जुल से भी मुलाक़ात हुई ... ये चित्र मैं सहेज रही हूँ ... हां राज की बात - चित्र देख कर पता चला के इस बीच मैं कितनी मोटी हो गयी हूँ ... :))
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया -
जवाब देंहटाएंचित्र चुरा रहा हूँ ।।
बहुत सुंदर
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