आभूषण हैं वदन का, रक्खो मूछ सँवार, बिना मूछ के मर्द का, जीवन है बेकार। जीवन है बेकार, शिखण्डी जैसा लगता, मूछदार राणा प्रताप, ही अच्छा दिखता, कह ‘मंयक’ मूछों वाले, ही थे खरदूषण , सत्य वचन है मूछ, मर्द का है आभूषण। (२) पाकर मूछें धन्य हैं, वन के राजा शेर, खग-मृग सारे काँपते, भालू और बटेर। भालू और बटेर, केसरि नही कहलाते, भगतसिंह, आजाद मान जन-जन में पाते। कह ‘मयंक’ मूछों से रौब जमाओ सब पर, रावण धन्य हुआ जग में, मूछों को पा कर। (३) मूछें बिकती देख कर, हर्षित हुआ ‘मयंक’, सोचा-मूछों के बिना, चेहरा लगता रंक। चेहरा लगता रंक, खरीदी तुरन्त हाट से, ऐंठ-मैठ कर चला, रौब से और ठाठ से। कह ‘मंयक’ आगे का, मेरा हाल न पूछें, हुई लड़ाई, मार-पीट में, उखड़ गई थी मूछें। |
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मंगलवार, 7 अगस्त 2012
"रक्खो मूछ सँवार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जय हो, सुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएंमैं तो बाकायदा उनपर पौलिस करके भी रखता हूँ :) बढ़िया मूछ चालीसा शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंमयंक जी , मूंछों पर बेहतरीन रचना ! पर आप का हाल जान दुःख हुआ ..
जवाब देंहटाएंवाह!!! वाह!!!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही बात!
जवाब देंहटाएंमन को गुदगुदाती हुयी कविता!
कुँवर जी,
मूछें बिकती देख कर, हर्षित हुआ ‘मयंक’,
जवाब देंहटाएंसोचा-मूछों के बिना, चेहरा लगता रंक।
चेहरा लगता रंक, खरीदी तुरन्त हाट से,
ऐंठ-मैठ कर चला, रौब से और ठाठ से।
कह ‘मंयक’ आगे का, मेरा हाल न पूछें,
हुई लड़ाई, मार-पीट में, उखड़ गई थी मूछें।
बढ़िया व्यंग्य विनोद ,बढाओ तुम भी मूंछें
राहुल को भी एक अदद लगवादों मूछें (दिग्विजय सिंह जी से है यह पेश कश ,अरे भई बड़ा रोल प्ले करना है आखिर ),
ram ram bhai
मंगलवार, 7 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
मूछें हो नत्थूलाल सी, वो कहलाये मर्द
जवाब देंहटाएंबिन मूछों के मर्द का,चेहरा दिखता जर्द,,,,,
बढ़िया प्रस्तुति,,,,
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
dr. saheb essi munchche jawani me meri huyaa karati thi.thanxs
जवाब देंहटाएंमूँछें बहुत सुंदर हैं !
जवाब देंहटाएंआज मुछो का जमाना है क्यो की एक तो मूंझ और एक पूछ दोनो का बोलबाला है मूंझ का तात्पर्य बाहुबलीयो और पूंछ का तात्पर्य उनके चमचो से है
जवाब देंहटाएंआपको जन्माष्टमी की शुभकामनाये
यूनिक तकनीकी ब्लाग
सच कहा मूँछ तो मर्दो का आभूषण है ..रोचक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंमूछों के साथ कान भी क्यों उलट दिए?
जवाब देंहटाएंmuchho ko kyon dekh ke hotey bhav vibhor, jane naai kaat de kainchi se kis vor.
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