(1) बेटे-बेटी में करो, समता का व्यवहार। बेटी ही संसार की, होती सिरजनहार।। होती सिरजनहार, स्रजन को सदा सँवारा। जिसने ममता को उर में, जीवन भर धारा।। कह 'मयंक' दामन में, कँटक रही समेटे। बेटी माता बनकर, जनती बेटी-बेटे।। (2) हरे-भरे हों पेड़ सब, छाया दें घनघोर। उपवन में हँसते सुमन, सबको करें विभोर।। सबको करें विभोर, प्रदूषण हर लेते हैं। कंकड़-पत्थर खाकर, मीठे फल देते हैं।। कह 'मयंक' आचरण, विचार साफ-सुथरे हों। उपवन के सारे, पादप नित हरे-भरे हों।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 8 अगस्त 2012
"विचार साफ-सुथरे हों" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
बहुत सार्थक ..बेटा बेटी में समानता ज़रूरी है और जीवन में सदाचार महत्वपूर्ण है ..
जवाब देंहटाएंसादर
सही बात है |
जवाब देंहटाएंबेटे बेटी में भेद क्यूँ ??
संदेश देती सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर कुण्डलिया...
जवाब देंहटाएंसादर।
अच्छे संदेश देती रचना !
जवाब देंहटाएं~सादर!
बच्चे नये पौधों की तरह ही होते हैं..सुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएंअच्छे सन्देश देती सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएं:-)
बेटे-बेटी में करो, समता का व्यवहार।
जवाब देंहटाएंबेटी ही संसार की, होती सिरजनहार।।
प्रेरक सन्देश देती सुंदर कुण्डलियाँ,,,,
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
आपकी पोस्ट कल 9/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा - 966 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
अनुपम शिक्षाप्रद प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
शास्त्री जी,समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आकर
'फालोअर्स और ब्लोगिंग'के सम्बन्ध में मेरा मार्ग दर्शन कीजियेगा,
शिक्षाप्रद रचना..
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंबेटी हो या बेटा हो
उपवन के सारे,
पादप नित हरे-भरे हों।।
औरतों के लिए भी है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली महाकाल के हाथ पे गुल होतें हैं पेड़ ,सुषमा तीनों लोक की कुल होतें हैं पेड़ पेड़ों की मानिंद तीनों लोक की सुषमा होतीं हैं बेटियाँ -
जवाब देंहटाएंऔरतों के लिए भी है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली
पेड़ों की मानिंद तीनों लोक की सुषमा होतीं हैं बेटियाँ -
अनुपम भाव संयोजित किये हैं इस अभिव्यक्ति में आपने ... आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ,सार्थक ,सन्देश परक कुंडलियाँ जन्माष्टमी की आपको व् सम्पूर्ण परिवार को बधाई
जवाब देंहटाएंबेटे-बेटी में करो, समता का व्यवहार।बेटी ही संसार की होती सिरजनहार।।
जवाब देंहटाएंअच्छे सन्देश देती सुन्दर रचना.. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ....