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शनिवार, 18 अगस्त 2012
"जीवन के चित्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह कितनी सहजता से जीवन को परिभाषित कर दिया।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya...
जवाब देंहटाएंजीवन एक राज ,
जवाब देंहटाएंकभी (कोई)कबूतर ,कभी (कोई )बाज़ ,
jivan ki paribhasha ko sarthak karti hui post
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन जीवन को परिभाषित
जवाब देंहटाएंकरती रचना......
उत्तम .....
:-)
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंजीवन के विविध रूपों का सुंदर चित्रण
जवाब देंहटाएंजीवन के कई रंग है न जाने कितने रूप
जवाब देंहटाएंएकरूप जीवन मरण,कभी छाँव कभी धुप,,,,
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,,,
जीवन को सहजता से परिभाषित करती रचना......
जवाब देंहटाएंआज शामको इसे पढ़ा था। अभी एक बार फिर पढ़ रहा हूँ। बहुत ही बढ़िया तरीके से अपने अपनी बात कहीं है। मेरी दृष्टि में यह कविता का सुन्दर प्रतिदर्श है। बधाई आपको बौत - बहुत।
जवाब देंहटाएंक्षणिका
एक क्षण
कभी स्मरण
कभी विस्मरण
बहुत ही सुंदर चित्र खींचे हैं आपने। बधाई।
जवाब देंहटाएंलगे हाथ आपको बता दूं कि ब्लॉगर्स के नाम महामहिम राज्यपाल जी का संदेश आया है। क्या पढ़ा आपने?
एक जीवन - कितनी दृष्टियाँ !
जवाब देंहटाएंजीवन को देखा, समझा और खूब समझाया।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंसीधी सरल रचना...काश के ऐसा ही होता जीवन भी.....
सादर
अनु
जीवन का सार ! बहुत अच्छा लगा जीवन के अनेक रूप पढ़ना।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,,,
जवाब देंहटाएंजीवन के विभिन्न रूपों का इतना सुन्दर वर्णन चित्र भी मन मुग्ध कर गया हार्दिक बधाई आपको
जवाब देंहटाएंद्वन्द्व भरा यह जीवन साधो..
जवाब देंहटाएंखूबसूरती से काही जीवन की बात ...
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