धूप और बारिश से, जो हमको हैं सदा बचाते। छाया देने वाले ही तो, कहलाए जाते हैं छाते।। आसमान में जब घन छाते, तब ये हाथों में हैं आते। रंग-बिरंगे छाते ही तो, हम बच्चों के मन को भाते।। तभी अचानक आसमान से, मोटी-मोटी बूँदें आई। प्रांजल ने उतार खूँटी से, छतरी खोली और लगाई।। प्राची ने जैसे ही देखा, भइया छतरी ले आया है। उसने भी प्यारा सा छाता, अपने सिर पर फैलाया है।। कई दिनों में वर्षा आई, जाग गई मन में उमंग हैं। भाई-बहन दोनों ही खुश हैं, दो छातों के अलग रंग हैं।। |
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रविवार, 5 अगस्त 2012
"छाया देने वाले ही तो, कहलाए जाते हैं छाते" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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खुबसूरत बाल रचना |
जवाब देंहटाएंआभार आपका ||
छाते की महत्ता बताती सुंदर सी बाल कविता !
जवाब देंहटाएंसादर !
रंग बिरंगे छाते सी रंग बिखेरती रचना..!:-)
जवाब देंहटाएंसादर !!!
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 06-08-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-963 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
तकरीबन एक हफ्ते बाहर होने व अति व्यस्तता के कारन आभासी दुनिया से लगभग कटा रहा , सुन्दर दैनिक कृतियों से रूबरू नहीं हो सका .....माफ़ी चाहते हैं सर ! मित्रता दिवस की शुभ कामनाएं ......खुबसूरत बाल रचना, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर बाल कविता..
जवाब देंहटाएंवाह ... कमाल की बाल रचना ... छाते के अनोखे रंग और निराले ढंग ...
जवाब देंहटाएंभारी बारिश और धुप में , छाता सदा सुहाता
जवाब देंहटाएंखुद बारिश में भीग कर,औरों को सदा बचाता,,,,,
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
वाह ये रंगीन छाते वाली कविता भा घई मन को ।
जवाब देंहटाएंbadhiya kavita and pranjal aur prachi bhee ache lag rhey hain!
जवाब देंहटाएंलेकिन यहां तो बरसात ही नहीं है। अब क्या करें? लेकिन आपने बहुत अच्छी कविता बनायी है।
जवाब देंहटाएंसहज ढंग से लिखी गयी बाल कविता , अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव लिये बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंram ram bhai
जवाब देंहटाएंसोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से