Come slowly:Emily Dickinson अनुवादक : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” |
मेरे हैं अनछुए ओंठ तुम छू लो धीरे से आकर! जैसे मधु की मक्खी हो जाती है मदहोश चमेली की सुगन्ध को पाकर!! घूमती उसके चारों ओर! खिंची आती है वो बिनडोर!! कुछ विलम्ब ही सही पहुँच जाती प्रसून के पास! करा देती अपना आभास!! रिझाती उसको कर गुंजार! प्रकट कर देती सच्चा प्यार!! शहद का करती है आकलन और सुध-बुध खो देती है! मधुर चुम्बन ले लेती है!! |
Emily Dickinson ![]() जन्म 10 दिसम्बर, 1830 मृत्यु 15 मई, 1886 |
क्योंकि मैंने अंग्रेजी में कवितायें बहुत कम पढ़ी हैं..
जवाब देंहटाएंसर, मेरी एक विनती है कि मूल अंग्रेजी अनुवाद भी दे दें तो और अधिक मजा आयेगा... यह व्यक्तिगत विनती है..
जवाब देंहटाएंमधुमक्खी की तरह गुणों रूपी मिठास एकत्र करते रहें।
जवाब देंहटाएंक्या कहने बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
बहुत सुन्दर....शहद जैसी मिठास लिए ये अनुवाद ....आपको इसके लिए बधाई
जवाब देंहटाएं@ भारतीय नागरिक - Indian Citizen जी!
जवाब देंहटाएंकविता का नाम तो दिया ही है!
आपके पास तो नेटरूपी औजार है!
सर्च करों और मज़ा लो मूल कविता का!
मन को मीत बना लेने में सक्षम सुंदर कविता!
जवाब देंहटाएंअनुवाद केवल उसके लिए किया जाता है,
जवाब देंहटाएंजो रचना की मूल भाषा से अनभिज्ञ होता है!
्बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अनुवाद्।
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