“मेरा एक बहुत पुराना गीत”
आँसू हैं अनमोल, इन्हें बेकार गँवाना ठीक नही! हैं इनका कुछ मोल, इन्हें बे-वक्त बहाना ठीक नही! हीरक वाला, हर खदान नही हो सकता है, सारे ही पाषाणों में, भगवान नही हो सकता है, बोल न कातर बोल, इन्हें हर वक्त मनाना ठीक नहीं! हैं इनका कुछ मोल, इन्हें बे-वक्त बहाना ठीक नही!! खारे जल को, मत रुखसारों पर ढलकाना, नयनों में ठहरे, सिन्धु को मत छलकाना, खोल न देना पोल, अश्रु को बाहर लाना ठीक नही! हैं इनका कुछ मोल, इन्हें बे-वक्त बहाना ठीक नही!! गम को गीत बनाकर, गाकर नही सुनाना, होकर के खामोश, सदा अन्तस् में गाना, दुनिया के आगे, रो-रोकर दुःख सुनाना ठीक नही! हैं इनका कुछ मोल, इन्हें बे-वक्त बहाना ठीक नही!! |
गम को गीत बनाकर,
जवाब देंहटाएंगाकर नही सुनाना,
होकर के खामोश,
सदा अन्तस् में गाना,
दुनिया के आगे,
रो-रोकर दुःख सुनाना ठीक नही!
हैं इनका कुछ मोल,
इन्हें बे-वक्त बहाना ठीक नही!!
सही कहा…………॥दुनिया रोकर पूछ लेगी और हँस कर उडा देगी। बहुत बढिया।
kya baat hai uncle ji ...geet to bas aisa hai ki behte jao jahaan tak ye jaati hai .. :)
जवाब देंहटाएंनयनों में ठहरे,
जवाब देंहटाएंसिन्धु को मत छलकाना,
खोल न देना पोल,
अश्रु को बाहर लाना ठीक नही!
हैं इनका कुछ मोल,
इन्हें बे-वक्त बहाना ठीक नही!!
बहुत बढिया !
सुंदर बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंऐसी सकारात्म सुंदर रचना पढ़कर अच्छा लगता है, अनयथा कई ब्लाग पढ़कर तो कभी-कभी लगता है कि हे प्रभु दुनिया में दु:ख के अलावा भी कुछ और बचा है क्या ! :-)
अनयथा = अन्यथा
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर गीत!भाव बड़े अच्छे लगे जी!
जवाब देंहटाएंआंसुओ के अनमोल होने की खबर उनके बहने के बाद ही अधिकतर होती है!
कुंवर जी,
... bahut khoob ... laajawab !!!
जवाब देंहटाएंबहुत भावप्रणव रचना, उत्तम विचारों के साथ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंएक भाव-भीनी रचना।
जवाब देंहटाएंहीरक वाला, हर खदान
जवाब देंहटाएंनही हो सकता है,
सारे ही पाषाणों में, भगवान
नही हो सकता है,
शास्त्री जी आप तो हम से बुजुर्ग ओर बडे है जनाब किसी भी पाषाण मै भगवान नही हो सकता हम तो सिर्फ़ उस की मुरती ही पाषाण पर गडते है, ओर उसे देख सके, बाकी ओर पाषण तो पाषण ही रहेगा.
आप ने कविता बहुत सुंदर लिखी.
धन्यवाद
बहुत बढिया ! बहुत सुन्दर रचना है।
जवाब देंहटाएंवाकई आंसुओं को बेकार ही नहीं बहाना चाहिए..बेहद सार गर्भित सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंगम को गीत बनाकर,
जवाब देंहटाएंगाकर नही सुनाना,
होकर के खामोश,
सदा अन्तस् में गाना,
खामोशी में कही बात दिल से सुनी जायेगी
बहुत सुन्दर
आदरणीय शास्त्रीजी
जवाब देंहटाएंअपने काव्य ख़ज़ाने के हीरे-मोती लुटाने के लिए धन्यवाद !
पुराने चावल तो वैसे भी कीमती होते हैं ।
- राजेन्द्र स्वर्णकार
" शस्वरं " http://shabdswarrang.blogspot.com/
बहुत सुन्दर रचना.......
जवाब देंहटाएंjai ho ...sundar
जवाब देंहटाएंगम को गीत बनाकर,
जवाब देंहटाएंगाकर नही सुनाना,
होकर के खामोश,
सदा अन्तस् में गाना,
बहुत सुन्दर गीत है...सटीक शिक्षा देने वाला...
रहीम जी का एक दोहा याद आ गया....
रहिमन निज मन की व्यथा , मन ही राखे गोय |
सुनी अथिलैहें लोग सब , बांटी ना लेहें कोय....
puraana lekin phir bhi ek dum naya....
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