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nice
जवाब देंहटाएंसही आईना दिखाता बढ़िया मुक्तक ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया... खाद-पानी की बात अति उत्तम है...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर! मज़ा आ गया!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंआप की तो हर रचना ही निराली है !!
आज हिंदी ब्लागिंग का काला दिन है। ज्ञानदत्त पांडे ने आज एक एक पोस्ट लगाई है जिसमे उन्होने राजा भोज और गंगू तेली की तुलना की है यानि लोगों को लडवाओ और नाम कमाओ.
जवाब देंहटाएंलगता है ज्ञानदत्त पांडे स्वयम चुक गये हैं इस तरह की ओछी और आपसी वैमनस्य बढाने वाली पोस्ट लगाते हैं. इस चार की पोस्ट की क्या तुक है? क्या खुद का जनाधार खोता जानकर यह प्रसिद्ध होने की कोशीश नही है?
सभी जानते हैं कि ज्ञानदत्त पांडे के खुद के पास लिखने को कभी कुछ नही रहा. कभी गंगा जी की फ़ोटो तो कभी कुत्ते के पिल्लों की फ़ोटूये लगा कर ब्लागरी करते रहे. अब जब वो भी खत्म होगये तो इन हरकतों पर उतर आये.
आप स्वयं फ़ैसला करें. आपसे निवेदन है कि ब्लाग जगत मे ऐसी कुत्सित कोशीशो का पुरजोर विरोध करें.
जानदत्त पांडे की यह ओछी हरकत है. मैं इसका विरोध करता हूं आप भी करें.
sundar sir ji!
जवाब देंहटाएंमुक्तक दमदार है!
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आज ख़ुशी का दिन फिर आया!
जन्म-दिवस पर मिला : मुझे एक अनमोल उपहार!
मुझको सबसे अच्छा लगता : अपनी माँ का मुखड़ा!
bilkul sahi kaha aapne.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
शानदार मुक्तक। नेट की चाल धीमी सही, पर आपकी हमेशा की तरह जोरदार है।
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कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?
badhiya likha hai guru ji mahaaraaj....
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