अंक है धवल-धवल। पंक में खिला कमल।। हाय-हाय हो रही, गली-गली में शोर है, रात ढल गई मगर, तम से भरी भोर है, बादलों में घिर गया, भास्कर अमल-धवल। अंक है धवल-धवल। पंक में खिला कमल।। पर्वतों की चोटियाँ, बर्फ से गयीं निखर, सर्दियों के बाद भी, शीत की चली लहर, चीड़-देवदार आज, गीत गा रहे नवल। अंक है धवल-धवल। पंक में खिला कमल।। चाँदनी लिए हुए, चाँद भी डरा-डरा, पादपों ने खो दिया रूप निज हरा-भरा, पश्चिमी लिबास में, रूप खो गया सरल। अंक है धवल-धवल। पंक में खिला कमल।। |
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शुक्रवार, 9 मार्च 2012
"अंक है धवल-धवल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुन्दर लयबद्ध कविता...
जवाब देंहटाएंसादर.
bahut sundar kavita aaj kal fir se sachmuch shreenagar me bhari barfbaari ho rahi hai...atah thand laut ke aa rahi hai.
जवाब देंहटाएंआपके इधर तो कमल के ऊपर पंजा छा गया. बढ़िया गीत.
जवाब देंहटाएंपर्वतों की चोटियाँ,
जवाब देंहटाएंबर्फ से गयीं निखर,
सर्दियों के बाद भी,
शीत की चली लहर,
चीड़-देवदार आज,
गीत गा रहे नवल।
अंक है धवल-धवल।
पंक में खिला कमल।।
रूप निज हरा-भरा,
पश्चिमी लिबास में,
बहुत बढ़िया .स्प्रिंग की आहत लिएशाष्त्री जी आये
बहुत सुन्दर .धवल कमल सी रचना.
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना शास्त्री जी ! शायद कहीं पर निशाना भे साध रही है :)
जवाब देंहटाएंpuri rachna prashansaniye aur madhur. ise gungunana bahut achchha laga...
जवाब देंहटाएंचाँदनी लिए हुए,
चाँद भी डरा-डरा,
पादपों ने खो दिया
रूप निज हरा-भरा,
पश्चिमी लिबास में,
रूप खो गया सरल।
अंक है धवल-धवल।
पंक में खिला कमल।।
badhai.
बढ़िया प्रस्तुति |
हटाएंचाँदनी लिए हुए,
जवाब देंहटाएंचाँद भी डरा-डरा,
पादपों ने खो दिया
रूप निज हरा-भरा,
.....बहुत सुंदर भाव और उनकी अद्भुत प्रवाहमयी अभिव्यक्ति...
श्वेत वसन जब धरा ओढ़ती,
जवाब देंहटाएंशुभ्र छटा लहरा जाती है..
.बहुत सुंदर भाव श्वेत वसन जब धरा ओढ़ती,
जवाब देंहटाएंशुभ्र छटा लहरा जाती है..
बढ़िया प्रस्तुति |
बहुत सुंदर रचना, बेहतरीन प्रस्तुति,...
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST ...काव्यान्जलि...:बसंती रंग छा गया,...
बहुत सुंदर भाव .....बहुत सुंदर प्रस्तुति !!!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गीत
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएंश्वेत की शुभ्रता शेष सबका समायोजन है।
जवाब देंहटाएंजीवन की सरलता पश्चिमी लिबास में खोई है - एक नया दर्शन! सुन्दर लयबद्ध भाव
जवाब देंहटाएंपश्चिमी लिबास में रूप खो गया सरल ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन !
पश्चिमी लिबास में,
जवाब देंहटाएंरूप खो गया सरल।
वाह! सर... सुन्दर गीत....
सादर.
पंक में खिला कमल, बड़ी सशक्त रचना है, बधाई।
जवाब देंहटाएं