♥ कुछ दोहे ♥ दुनिया में रहते सुखी, राजा, रंक-फकीर। दुःशासन बनकर यहाँ, खींच रहे क्यों चीर।। -- पत्थर रक्खो हाथ में, नहीं टिकेगी ईंट। जनता की इक ठेस से, जाता उतर किरीट।। -- जो आये हैं जायेंगे, ये दुनिया की रीत। दर्प नहीं करना कभी, करो सभी से प्रीत।। -- चार चरण, दो पंक्तियाँ, दोहा जिसका नाम। अमित छाप को छोड़ता, दोहा ललित-ललाम।। -- नेक नियत रक्खो सदा, बने रहेंगे ठाठ। फसल उगाओ खेत में, काटो धान्य विराट।। -- |
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शुक्रवार, 30 मार्च 2012
"कुछ दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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bahut shandar dohe humesha ki tarah.
जवाब देंहटाएंकाव्य की प्रभावशाली विधा, सिर्फ चंद शब्दों और पंक्तियों में रचे दोहे सब कुछ दो पंक्तियों में कह जाते हें .तभी तो कहा गया है और वह आप पर पूरा सच साबित होता है .
जवाब देंहटाएंसतसैया के दोहरे ज्यों नाविक के तीर, देखन में छोटे लगे घाव करें गंभीर.
काव्य की प्रभावशाली विधा, सिर्फ चंद शब्दों और पंक्तियों में रचे दोहे सब कुछ दो पंक्तियों में कह जाते हें .तभी तो कहा गया है और वह आप पर पूरा सच साबित होता है .
जवाब देंहटाएंसतसैया के दोहरे ज्यों नाविक के तीर, देखन में छोटे लगे घाव करें गंभीर.
जो आये हैं जायेंगे, ये दुनिया की रीत।
जवाब देंहटाएंदर्प नहीं करना कभी, करो सभी से प्रीत।।
सुन्दर संदेशात्मक दोहे।
वाह: सभी दोहे बहुत कमाल के हैं....
जवाब देंहटाएंगुरुवर के उपदेश को, रखता शिष्य सँभाल ।
जवाब देंहटाएंदूजे की गन पर रखूं , मैं अपनी गरनाल ।
रही भावना साफ़ जब, नहीं है मन में मैल ।
कोल्हू में नाधूँ उसे, मारे सिर जो बैल ।
शब्दों के माहौल में, हूँ हड़-बड़ शैतान ।
इसीलिए पीछे लगें, अक्सर अति विद्वान ।
बहुत बहुत आभार है, दें गुरुवर आशीष ।
साहित्यिक सेवा करूँ, रहूँ नहीं उन्नीस ।।
जो आये हैं जायेंगे, ये दुनिया की रीत।
जवाब देंहटाएंदर्प नहीं करना कभी, करो सभी से प्रीत।।
--bahut sundar Dadu...!!
सार्थक दोहे ...
जवाब देंहटाएंसुंदर एवं सार्थक प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंsda ki tarah jivan ki sarthakta ko aatmasat kiya .aabhar.
जवाब देंहटाएंसचमुच दोहे तो कमाल ही करते हैं...
जवाब देंहटाएंबढ़िया दोहे सर...
सादर.
बहुत ही बढ़िया दोहे है,,
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे है.....
नेक नियत रक्खो सदा, बने रहेंगे ठाठ।
जवाब देंहटाएंफसल उगाओ खेत में, काटो धान्य विराट।।
वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर रचना,बेहतरीन भाव प्रस्तुति,....
MY RECENT POST ...फुहार....: बस! काम इतना करें....
चार चरण, दो पंक्तियाँ, दोहा जिसका नाम।
जवाब देंहटाएंअमित छाप को छोड़ता, दोहा ललित-ललाम।।
दोहे की व्याख्या करे ,दोहे को समझाए ,
वही शाष्त्री कहाए .
जो आये हैं जायेंगे, ये दुनिया की रीत।
जवाब देंहटाएंदर्प नहीं करना कभी, करो सभी से प्रीत।।
बहुत सुंदर दोहे ...
आभार ,शास्त्री जी .
रविकरजी की काव्यात्मक टिप्पणियाँ धूम मचाये हुयें हैं।
जवाब देंहटाएंअब तो टिप्पणियाँ और भी आनंद देने लगी हैं. कविता में टिप्पणी!
जवाब देंहटाएंसुन्दर संदेशात्मक दोहे।
जवाब देंहटाएंआपकी भी बात तो दादा है बड़ी निराली।
जवाब देंहटाएंपढ़ पढ़ दोहा आपका मन होय मतवाली।।
सुन्दर दोहे रच रहे, रविकर जैसे मित्र।
जवाब देंहटाएंअनुशंसा की रीत भी, होती बहुत विचित्र।।
बढ़िया दोहे भावपूर्ण अभिव्यंजना .
दिल खोलके तारीफ़ करना कोई इन दोनों दोहागरों से पूछे .रफूगर हैं यह काव्य के .गद्य को पद्य में बदलने वाले आशु माहिर
वाह ...बहुत ही बढिया।
जवाब देंहटाएंwah kya bat hai
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