मित्रों आज अपनी पसंद की एक पुरानी रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ! युग के साथ-साथ, सारे हथियार बदल जाते हैं। नौका खेने वाले, खेवनहार बदल जाते हैं।। प्यार मुहबाबत के वादे सब निभा नहीं पाते हैं, नीति-रीति के मानदण्ड, व्यवहार बदल जाते हैं। "कंगाली में आटा गीला" भूख बहुत लगती है, जीवनयापन करने के, आधार बदल जाते हैं। जप-तप, ध्यान-योग, केबल, टीवी-सीडी करते हैं, पुरुष और महिलाओं के संसार बदल जाते हैं। क्षमा-सरलता, धर्म-कर्म ही सच्चे आभूषण हैं, आपाधापी में निष्ठा के, तार बदल जाते हैं। फैसन की अंधी दुनिया ने, नंगापन अपनाया, बेशर्मी की ग़फ़लत में, शृंगार बदल जाते हैं। माता-पिता तरसते रहते, अपनापन पाने को, चार दिनों में बेटों के, घर-बार बदल जाते हैं। भइया बने पड़ोसी, बैरी बने ज़िन्दग़ीभर को, भाई-भाई के रिश्ते और प्यार बदल जाते हैं। |
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रविवार, 18 मार्च 2012
"बदल जाते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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इस रंग बदलती दुनिया में।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 19-03-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जी
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक पुरानी
रचनाएं पढने को मिल रही हैं--
बहुत-बहुत आभार ।
भाई मेरे हुवे पडोसी, जिन्हें साथ माँ पोसी ।
जवाब देंहटाएंआज खून रिश्ते से रिसता, बना खून का दोषी ।।
शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं।माता-पिता तरसते रहते, अपनापन पाने को,
चार दिनों में बेटों के, घर-बार बदल जाते हैं।
MY RESENT POST... फुहार....: रिश्वत लिए वगैर....
गिरगिट है दुनिया
जवाब देंहटाएंअपनी सुविधा के सब प्रेमी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..सदा बहार..
जवाब देंहटाएं"क्षमा-सरलता, धर्म-कर्म ही सच्चे आभूषण हैं,
जवाब देंहटाएंआपाधापी में निष्ठा के, तार बदल जाते हैं"
सरल रचना - सत्य बचन .. आभार.
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..........
जवाब देंहटाएंसादर.
भइया बने पड़ोसी, बैरी बने ज़िन्दग़ीभर को,
जवाब देंहटाएंभाई-भाई के रिश्ते और प्यार बदल जाते हैं।--------- सही फरमाया यही तो हो रहा है
खूबसूरत रचना
बेहतरीन। बधाई।
जवाब देंहटाएंsundar rachnaa!!!
जवाब देंहटाएंशब्दश : सत्य व सुन्दर . प्रशंसनीय प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंअच्छे छंद हैं शास्त्रीजी ! पुराने चावल की गंध ही अलग होती है ! बधाई !!
जवाब देंहटाएं--आ. व. ओ.
माता-पिता तरसते रहते, अपनापन पाने को,
जवाब देंहटाएंचार दिनों में बेटों के, घर-बार बदल जाते हैं।
अच्छी विचार परक प्रस्तुति .
क्षमा-सरलता, धर्म-कर्म ही सच्चे आभूषण हैं,
जवाब देंहटाएंआपाधापी में निष्ठा के, तार बदल जाते हैं।……………रंग बदलती दुनिया का सुन्दर चित्रण्।
वाह ...बहुत ही बढिया।
जवाब देंहटाएंजितनी तारीफ़ करें उतनी कम..बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंजीवन जीते हुए ...जीवन का सार ही बदल जाता हैं
जवाब देंहटाएं