मानव दानव बन बैठा है, जग के झंझावातों में। दिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।। होड़ लगी आगे बढ़ने की, मची हुई आपा-धापी, मुख में राम बगल में चाकू, मनवा है कितना पापी, दिवस-रैन उलझा रहता है, घातों में प्रतिघातों में। दिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।। जीने का अन्दाज जगत में, कितना नया निराला है, ठोकर पर ठोकर खाकर भी, खुद को नही संभाला है, ज्ञान-पुंज से ध्यान हटाकर, लिपटा गन्दी बातों में। दिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।। मित्र, पड़ोसी, और भाई, भाई के शोणित का प्यासा, भूल चुके हैं सीधी-सादी, सम्बन्धों की परिभाषा। विष के पादप उगे बाग में, जहर भरा है नातों में। दिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।। एक चमन में रहते-सहते, जटिल-कुटिल मतभेद हुए, बाँट लिया गुलशन को, लेकिन दूर न मन के भेद हुए, खेल रहे हैं ग्राहक बन कर, दुष्ट-बणिक के हाथों में। दिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।। |
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मंगलवार, 8 मई 2012
"चन्दा गुम है रातों में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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एक चमन में रहते-सहते, जटिल-कुटिल मतभेद हुए,
जवाब देंहटाएंबाँट लिया गुलशन को, लेकिन दूर न मन के भेद हुए,
खेल रहे हैं ग्राहक बन कर, दुष्ट-बणिक के हाथों में।
दिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।।…
टीस को सुन्दरता से उकेरा है ।
उम्दा रचना... आभार और बधाई
जवाब देंहटाएंप्रभावी प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
होड़ लगी आगे बढ़ने की, मची हुई आपा-धापी,
जवाब देंहटाएंमुख में राम बगल में चाकू, मनवा है कितना पापी,
आज ज़्यादातर इन्सानों की यही प्रवृति है .... अच्छी प्रस्तुति
मित्र, पड़ोसी, और भाई, भाई के शोणित का प्यासा,
जवाब देंहटाएंभूल चुके हैं सीधी-सादी, सम्बन्धों की परिभाषा।
विष के पादप उगे बाग में, जहर भरा है नातों में।
दिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।।
बेहतरीन पंक्तियाँ.
बहुत ही सुंदर एवं सार्थक रचना हर एक पंक्ति अपने आप में यथार्थ को दर्शा रही है बेहतरीन अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंsamyanusaar sarthak post .aabhar.
जवाब देंहटाएंसही में रिश्ते अपनी मान्यता खोने लगे हैं ...वक्त तेज़ी से बदल रहा हैं
जवाब देंहटाएंसमाज के मन की पीड़ा को बड़ी ही सुन्दरता से उकेरा है..
जवाब देंहटाएंसीधी सच्ची बात...
जवाब देंहटाएंमित्र, पड़ोसी, और भाई, भाई के शोणित का प्यासा,
भूल चुके हैं सीधी-सादी, सम्बन्धों की परिभाषा।
बहुत प्रभावशाली रचना, बधाई.
यथार्थ जीवन को अपनी रचना में बहुत ही बेहतरीन तरीके से व्यक्त किया है....बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंजीवन पूर्वाग्रहों से भर गया है ,व्यक्ति विनिमय का सांचा बनता जा रहा है ,व्यतिक्रम के साथ विषमताएं विस्तृत होने लगी हैं .......सार्थक सफल चित्रण
जवाब देंहटाएंBeautiful creation.
जवाब देंहटाएंagain a beautiful composition.!!
जवाब देंहटाएंचन्दा गुम है रातों में।।
जवाब देंहटाएंचंदा के माध्यम से बहुत कुछ कह डाला
मानव दानव बन बैठा है, जग के झंझावातों में।
जवाब देंहटाएंदिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।।
सीधे जुडती है यह प्रस्तुति आज के राजनीतिक प्रबंध से .काग भगोड़े शाशन से .बधाई स्वीकार करें .
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/f/f9/Sati_ceremony.jpg
.कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 9 मई 2012
शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
जीवन में बड़ा मकसद रखना दिमाग में होने वाले कुछ ऐसे नुकसान दायक बदलावों को मुल्तवी रख सकता है जिनका अल्जाइमर्स से सम्बन्ध है .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
बुधवार, 9 मई 2012
http://veerubhai1947.blogspot.in/
बुधवार, 9 मई 2012
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