पुराने जेवरातों में, नगीने जड़ नहीं सकते।। सफीना चलते-चलते ही, भँवर में फँस गया अपना, उन्हें मिलने की आदत है, मगर हम बढ़ नही सकते। समर में इश्क के हम तो, बिना हथियार के उतरे, उन्हें भिड़ने की आदत है, मगर हम लड़ नही सकते। जरा सी मय को पीकर, वो तो पहुँचे आसमानों में, उन्हें उड़ने की आदत है, मगर हम चढ़ नही सकते। हमारा “रूप” देखा है, किसी ने दिल नहीं देखा, बहुत जज्बात ऐसे हैं, जिन्हें हम गढ़ नही सकते।। |
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मंगलवार, 12 जून 2012
"पुराने जेवरातों में, नगीने जड़ नहीं सकते" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हमारा “रूप” देखा है, किसी ने दिल नहीं देखा,
जवाब देंहटाएंबहुत जज्बात ऐसे हैं, जिन्हें हम गढ़ नही सकते।।
वाह ,,,, बहुत ही सुंदर रचना,,,,,
बहुत खुबसूरत रचना...शास्त्री जी...आभार..
जवाब देंहटाएंहमारा “रूप” देखा है, किसी ने दिल नहीं देखा,
जवाब देंहटाएंबहुत जज्बात ऐसे हैं, जिन्हें हम गढ़ नही सकते।।
मोहब्बत करतें हैं हम भी, मगर हम कह नहीं सकते
जिगर में दर्द अपने भी ,मगर हम कह नहीं सकते
सितम तुम जितने ढालो ,मगर कुछ कह नहीं सकते
अच्छी रचना है .शास्त्री जी .....
खुबसूरत गजल....
जवाब देंहटाएंसादर.
bahut pyari si gajal:)
जवाब देंहटाएंबहूत हि बढीया गजल....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सी ग़ज़ल के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंगज़ब....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंसमर में इश्क के हम तो, बिना हथियार के उतरे,
जवाब देंहटाएंउन्हें भिड़ने की आदत है, मगर हम लड़ नही सकते ...
क्या बात है ... इश्क में तो ऐसा होता है ... वो लड़ते हैं ... हम सहते हैं ... यही इश्क है ... नमस्कार शास्त्री जी ...
बड़ी गहरी बातें कहीं हैं आपने..
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही बेहतरीन गजल!! हर शेर लाजवाब।
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसमर में इश्क के हम तो, बिना हथियार के उतरे,
जवाब देंहटाएंउन्हें भिड़ने की आदत है, मगर हम लड़ नही सकते।
बहुत खूब.....
पूरी ग़ज़ल ही बेहतरीन है
समर में इश्क के हम तो, बिना हथियार के उतरे,
जवाब देंहटाएंउन्हें भिड़ने की आदत है, मगर हम लड़ नही सकते।..............सही कहा ,एक दम सही
वाह ॥बहुत खूबसूरत गजल
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंमित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
जवाब देंहटाएंपैदल ही आ जाइए, महंगा है पेट्रोल ||
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बुधवारीय चर्चा मंच ।
वाह वाह वाह ………क्या खूब गज़ल है ।
जवाब देंहटाएंहमारा “रूप” देखा है, किसी ने दिल नहीं देखा,
जवाब देंहटाएंबहुत जज्बात ऐसे हैं, जिन्हें हम गढ़ नही सकते।।
बहुत बारीक-सी कहन...मन को छूने वाली...
हार्दिक बधाई...
हमारा “रूप” देखा है, किसी ने दिल नहीं देखा,
जवाब देंहटाएंबहुत जज्बात ऐसे हैं, जिन्हें हम गढ़ नही सकते।...
उम्दा ख्याल, उम्दा रचना