गरमी में ठण्डक पहुँचाता,
मौसम नैनीताल का!
मस्त नज़ारा मन बहलाता,
माल-रोड के माल का!!
नौका का आनन्द निराला,
क्षण में घन छा जाता काला,
शीतल पवन ठिठुरता सा तन,
याद दिलाता शॉल का!
पलक झपकते बादल आते,
गरमी में ठण्डक पहुँचाते,
कुदरता का ये अजब नज़ारा,
लगता बहुत कमाल का!
लू के गरम थपेड़े खा कर,
आम झूलते हैं डाली पर,
इन्हें देख कर मुँह में आया,
मीठा स्वाद रसाल का!
चीड़ और काफल के छौने,
पर्वत को करते हैं बौने,
हरा-भरा सा मुकुट सजाते,
ये गिरिवर के भाल का!
सजा हुआ सुन्दर बाजार,
ऊनी कपड़ों का अम्बार,
मेले-ठेले, बाजारों में,
काम नहीं कंगाल का!
गरमी में ठण्डक पहुँचाता,
मौसम नैनीताल का!
मस्त नज़ारा मन बहलाता,
माल-रोड के माल का!!
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रविवार, 16 जून 2013
"मेरा नैनीताल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुंदर रचना | साधुवाद
जवाब देंहटाएंक्या बात है शास्त्री जी ,, आपने तो पूरे नैनीताल की सैर करवा दी .. यादें ताज़ा हो गयीं ..बहुत ही सुन्दर कविता!
जवाब देंहटाएंसजा हुआ सुन्दर बाजार,
जवाब देंहटाएंऊनी कपड़ों का अम्बार,
मेले-ठेले, बाजारों में,
काम नहीं कंगाल का!
VERY NICE PRESENTATION OF FEELINGS .
वाह !बन्दे मातरम् !
जवाब देंहटाएंआओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की ,
इस मिटटी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।
लय ताल याद आ गई इस रचना को पढके .
गरमी में ठण्डक पहुँचाता,
मौसम नैनीताल का!
मस्त नज़ारा मन बहलाता,
माल-रोड के माल का!!बढ़िया चित्रमय प्रस्तुति .
aap ke agle mohalle mein hee hai nainitaal....
जवाब देंहटाएंआनन्दित करता जाता है,
जवाब देंहटाएंसुन्दर वर्णन हाल का।
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति गुरु जी
जवाब देंहटाएंवाह चित्र सहित सुंदर चित्रण नैनीताल का