शिव ने खोला नेत्र तीसरा, प्रलय
हुई केदारनाथ में।
माया अपरम्पार प्रभू की, मानव के
कुछ नहीं हाथ में।।
अचल-सन्तरी पर्वत पर, जब-जब हमने थी
छेड़-छाड़ की,
कुदरत को ये रास न आया, उसने ये रचना
उजाड़ दी,
कंकरीट का सारा जंगल, हुआ समाहित जलप्रपात
में।
माया अपरम्पार प्रभू की, मानव के
कुछ नहीं हाथ में।।
जितना भी कूड़ा-कचरा था, उसका पल
में किया सफाया,
भोले बाबा ने मन्दिर का, हमको आदिस्वरूप
दिखाया,
पापकर्मियों के कारण ही, सज्जन भी बह
गये साथ में।
माया अपरम्पार प्रभू की, मानव के
कुछ नहीं हाथ में।।
धाम साधना का होता है, नहीं मौज-मस्ती
का आलय,
वन्दन-पूजन-आराधन का, आलय होता है देवालय,
लेकिन भूल गया था मानव, लोभ-मोह के
क्षणिक स्वार्थ में।
माया अपरम्पार प्रभू की, मानव के
कुछ नहीं हाथ में।।
हुए हताहत जितने परिजन, उनको
श्रद्धासुमन समर्पित,
गंगा मइया करना तर्पण, स्वजन किये
हैं तुमको अर्पित,
हे कैलाशपति-शिवशम्भू! रखना अपनी कायनात
में।
माया अपरम्पार
प्रभू की, मानव के कुछ नहीं हाथ में।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
सोमवार, 24 जून 2013
"प्रलय हुई केदारनाथ में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रार्थना !
latest postमेरे विचार मेरी अनुभूति: जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
हुए हताहत जिनके परिजन, उनको श्रद्धासुमन समर्पित,
जवाब देंहटाएंगंगा मइया करना तर्पण, स्वजन किये हैं तुमको अर्पित,
हे कैलाशपति-शिवशम्भू! रखना अपनी कायनात में।
माया अपरम्पार प्रभू की, मानव के कुछ नहीं हाथ में।।
बहुत सुन्दर.
पता नहीं, हम संकेत समझ पायेंगे या नहीं।
जवाब देंहटाएंsatya ke darshan ...
जवाब देंहटाएंअनुपम रचना | जिन्द्या रयों ते लम्बी उम्र्यां हों |
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २५ /६ /१३ को चर्चा मंच में राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,उत्कृष्ट प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: एक हमसफर चाहिए.
waah ........aanand aagaya ..........sundar kavita
जवाब देंहटाएंbahut achha varnan...
जवाब देंहटाएंमानव के कुछ नहीं हाथ में... sundar rachanaa
जवाब देंहटाएंप्रभु की लीला प्रभु ही जाने ...उसके आगे किसी का जोर नहीं चलता ..
जवाब देंहटाएंswar men nihit hatasha aur atmsamarpan klaant kar gaya !
जवाब देंहटाएं