सुख देता है परम धाम का।।
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गुरुवार, 4 जून 2009
‘‘कूलर’’ (डा0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
सुख देता है परम धाम का।।
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Mazedaar Kavita ! Dhanyavaad Shastri jee.
जवाब देंहटाएंअरे वाह, कूलर का कवितामय परिचय अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
cooler par to aapne bahut hi achchi kavita rach di.
जवाब देंहटाएंbahut khoob sach kaha hai.
जवाब देंहटाएंतब यह बक्सा बड़े काम का।
सुख देता है परम धाम का।।
अपने परिवेश की वस्तुओं पर अपने अनुभव से कविता बनाना सचमुच रोचक है
जवाब देंहटाएं---
तख़लीक़-ए-नज़र
आज ही नया कूलर खरीदा
जवाब देंहटाएंऔर
आज ही आपकी यह
सुंदर कविता पढ़ने को मिल गई!
कूलर की हवा में ही बैठकर
टिप्पणी कर रहा हूँ!
लग रहा है कि यह कविता भी
कूलर की हवा में ही बैठकर रची गई है!
This poem is really very-very cool.
जवाब देंहटाएं