रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।
भीग रहे हैं पेड़ों के तन,
भीग रहे हैं आँगन उपवन,
हरियाली सबके मन भाई।
रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।।
मेंढक टर्र-टर्र चिल्लाते,
झींगुर मस्ती में हैं गाते,
आमों की बहार ले आई।
रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।।
आसमान में बिजली कड़की,
डर से सहमें लडका-लड़की,
बन्दर जी की शामत आई।
रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।।
कहीं छाँव है, कहीं धूप है,
इन्द्रधनुष कितना अनूप है,
धरती ने है प्यास बुझाई।
रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।।
विद्यालय भी तो जाना है,
होम-वर्क भी जँचवाना है,
मुन्नी छाता लेकर आयी।
रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।।
(चित्र गूगल सर्च से साभार)
धरती ने है प्यास बुझाई।
जवाब देंहटाएंरिम-झिम,रिम-झिम वर्षा आई।।
Bahut hi sundar chitran. Dhanyavad.
सुंदर बाल कविता.......
जवाब देंहटाएंसाभार
हमसफ़र यादों का.......
hpsdabwaliWAH WAH
जवाब देंहटाएंWAH JANAB WAH
जवाब देंहटाएंKYA BAAT H
GARMI BHAGA DI AAPNE JANAB
हाँ जी जून-जुलाई में आती थी अबकि मई में ही आ गयी। बहुत ही मनभावन रचना है।
जवाब देंहटाएं---
बहुत लाजवाब कविता. मौसम का मिजाज जल्दी ही आपकी कविता के अनुरुप हो जाये तो मजा आजाये.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वर्षा के मौसम का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है आपने.
जवाब देंहटाएंsundar kavita aur khoobsurat chitra ....
जवाब देंहटाएंरिमझिम रिमझिम बरसात के सुहाने मौसम को और खूबसूरत बनाती सुन्दर रचना ......
जवाब देंहटाएंjeet ki badhaai saath hi rim-jhim varsha bhi aai hariyali hi hariyali .bahut khoob .30 may ko saras payas pe badhaai bheji rahi shayad aap dekh liye honge.
जवाब देंहटाएंशब्दों की बरसात में भीग रहा है मन
जवाब देंहटाएंइसीलिए तो भाता है अपना 'उच्चारण'
सुंदर शब्दों का संयोजन!
जवाब देंहटाएंउच्चारण पर तो लगता है -
बालकविताओं की
बरसात हो रही है!
ब्लॉगर मित्रों!
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पणियों से
मुझे निश्चितरूप से बल मिलता है
और
नया स्रजन करने का उत्साह
मन में समा जाता है।
सहृदय साथियों!
मैं आपका आभारी हूँ।
वाह!
जवाब देंहटाएंवर्षा का बेहतरीन दृश्य...हमारे यहां तो आज ही बारिश हुई और हम भीगे भी..
आपकी कविता बताती है कि आप प्रकृति के हर रूप के प्रेमी है और बाल भावनाओं को उभारने में महारथ हासिल है
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ कविता और दृश्यों के लिए
दिल से बधाई.
रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई,
जवाब देंहटाएंइतनी सुंदर कविता लाई।
bahut hi रिम-झिम,रिम-झिम rachna hai yeh.. badhai...!
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