हर रोज
सुबह आयेगी,
शाम ढलेगी,
रात जायेगी
और
फिर सुबह होगी,
पर
इन्तजार
खत्म न होगा।
संसार की
यही तो नियति है
और
शायद
इसी का नाम
दुनिया है।
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jeewan chalane ka naam
जवाब देंहटाएंaur sab kuch bas chalata hi rahata hai
pritvi gol hai to bas gol gol chalate hai..
aapne achcha darshaya jeewan ko.
badhayi..
विनोद कुमार पांडेय जी.
जवाब देंहटाएंयह तो किसी के ब्लॉग पर टिप्पणी की थी,
मगर क्या करूँ.
यह आधुनिक कविता ही बन गई।
आपको पसन्द आई,
शुक्रिया।
बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआपकी तो टिपणीयां भी काव्यमयी रहती हैं. बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत खुब !!
जवाब देंहटाएंआभार!
महावीर बी सेमलानी
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
आपकी टिप्पणियां ही कविता बन जाती हैं...
जवाब देंहटाएंलोग काव्यसाधना करते हैं...जो आपने उम्र भर कर ली।
अब टिप्पणियों से ही कविता बहाइये...इसमें बहुत से रिश्ते पैदा हो रहे हैं...
सुंदर
वाह टिपण्णि हो तो ऎसी कि कविता बन जाये
जवाब देंहटाएंदुनिया के शाश्वत सत्य का बहुत सुंदर विश्लेषण.. आभार
जवाब देंहटाएंkhubsoorat rachna hai...
जवाब देंहटाएंkya batt hai...
tippni ko kavita bana dala...
दुनिया को बहुत कम शब्दों में बहुत ही अच्छे से वर्णित किया है आपने।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
वाह!! अब तो रोज़ ही नया रूप दिख रहा है, आपका.
जवाब देंहटाएंtippani me kavita ya kavita me tippani. sundar, baddhhiya
जवाब देंहटाएंसीधी सादी बात लेकिन गंभीर!
जवाब देंहटाएंmayankji
जवाब देंहटाएंkam shabdon mein achchh aur badi baat .seedhi kintu gahari' yahi to achchhi kavita hai.
hari shanker rarhi