खोल रहा दुनिया की पोल।।
इसमें चैनल एक हजार।
इसके बिन जीवन बेकार।।
कितना प्यारा और सलोना।
बच्चों का ये एक खिलौना।।
समाचार इसमें हैं आते।
कार्टून हैं खूब हँसाते।।
गीत और संगीत सुनाता।
पल-पल की घटना बतलाता।।
मनचाहा चैनल पा जाओ।।
नृत्य सिखाता, मन बहलाता।
नई-नई कारों को देखो।
जगमग त्योहारों को देखो।।
नये-नये देखो परिधान।
टेली-विजन बहुत महान।।
(रिमोट, कार और त्योहार के चित्र गूगल सर्च से साभार)
बढ़िया बाल कविता रची जा रही हैं, बधाई.
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए अनुकूल कविता। मयंक जी इस बीच आपकी कई बाल कविता देखने को मिली।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत बढिया कविता है शाश्तीजी. काश हम भी अब बच्चे बन जायें.
जवाब देंहटाएंरामराम
अनिल घर चल,
जवाब देंहटाएंउधर मत जा।
भोजन कर,
शोर मत कर्॥
मज़ा आ गया शास्त्री जी प्राईमरी स्कूल याद दिला दी।
waah waah.....bahut khoob!
जवाब देंहटाएंगुण और दोषों से परिपूर्ण यह प्रणाली सचमुच एक महान आविष्कार है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .. अच्छी बाल कविता है.. आपको बाल कविता संग्रह को प्रकाशित कराने पर विचार करना चाहिए..
जवाब देंहटाएंबच्चों को गर्मी की छुट्टियां, और आपके द्वारा उनका गहन अवलोकन किया जा रहा है तभी तो नित नई बाल कविताएं रच कर प्रसन्न कर रहे हैं बच्चों को, एक बार फिर से बधाई बाल कविता के लिए ।
जवाब देंहटाएंbadhiya baal kavita.........bachche to khush ho jayenge.
जवाब देंहटाएंबढिया है......
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया कविता।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत सुन्दर बाल कविता के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया साहब.आजकल खूब बाल कवितयें लिख रहे है. बहुत खूब !
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