गैस सिलेण्डर कितना प्यारा।
मम्मी की आँखों का तारा।।
रेगूलेटर अच्छा लाना।सही ढंग से इसे लगाना।।
गैस सिलेण्डर है वरदान।
यह रसोई-घर की है शान।।
दूघ पकाओ, चाय बनाओ।
मनचाहे पकवान बनाओ।।
बिजली अगर नही है घर में।
यह प्रकाश देता पल भर में।।
बाथरूम में इसे लगाओ।गर्म-गर्म पानी से न्हाओ।।
बीत गया है वक्त पुराना।
अब आया है नया जमाना।।
कण्डे, लकड़ी अब नही लाना।
बड़ा सहज है गैस जलाना।।
किन्तु सुरक्षा को अपनाना।
इसे कार में नही लगाना।
(चित्र गूगल सर्च से साभार)
मयंक जी वास्तु पुराण तो सुना है मगर आप तो वस्तु पुराण की रचना भी करने लगे बच्चों केलिये सुगम सरल विधी मे बधाई और आभार्
जवाब देंहटाएंवाह सरल शब्दों से युक्त सुन्दर बाल कविता..बहुत ही सुन्दर......
जवाब देंहटाएंwaah !
जवाब देंहटाएंbahut khoob !
आपके ब्लॉग पर आना जानकारी से भरा होता है पर इसमें एक लाइन जोड़ना चाहूंगा कि
जवाब देंहटाएं....पर कार में इसे ना लगाना।
शिक्षाप्रद संदेश के लिए धन्यवाद।
नीतीश राज जी।
जवाब देंहटाएंआपका सुझाव सही था।
बाल-कविता में इसे जोड़ दिया गया है।
किन्तु सुरक्षा को अपनाना।
इसे कार में नही लगाना।
धन्यवाद।
gas और silendar की jaankaari deti सुन्दर रचना......
जवाब देंहटाएं250 vi post ke liye sabse pahle badhyai sweekar karein.
जवाब देंहटाएंbahut badhiya.
बच्चों का ज्ञान बढाने उन्हें जागरुक बनाने के लिये ऐसे ही सरल शब्दों की जरूरत है। जो उन्हें आसानी से समझ आ जायें।
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