करता है हर बात उजागर।
इण्टर-नेट ज्ञान का सागर।।
कहती है प्यारी सी मुनिया।
लन्दन हो या हो अमरीका।
गली, शहर हर गाँव देख लो।
जग भर की जितनी हैं भाषा।
चाहे शोख नजारे देखो।
अन्तर्-जाल बड़े मनवाला।
छोटा सा कम्प्यूटर लेलो।
फिर इससे जी भरकर खेलो।।
आओ इण्टर-नेट पढ़ाएँ।
मौज मनाएँ, ज्ञान बढ़ाएँ।।
(चित्र गूगल सर्च से साभार)
वाह वाह मयंकजी बहुत सुन्दर है ये नेट पुराण बच्चों को खूब भायेगा बधाई
जवाब देंहटाएंवाह वाह मयंकजी बहुत सुन्दर है ये नेट पुराण बच्चों को खूब भायेगा बधाई
जवाब देंहटाएंवाह वाह मयंकजी बहुत सुन्दर है ये नेट पुराण बच्चों को खूब भायेगा बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया मयंक जी।बढिया लिखा है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब... हमारे अपने इंटरनेट का इस तरह सुंदर गुण-गान पढ़कर दिल गदगद हो गया.. बचपन में तो इंटरनेट के बारे में सुना तक नहीं था.. फिर भी इस बाल कविता ने बचपन की यादें ताजा करा दीं..आभार
जवाब देंहटाएंitni masoom magar sahi kavita hai ye...padhke mazaa aaya Sir...
जवाब देंहटाएंwww.pyasasajal.blogspot.com
बहुत मजेदार...
जवाब देंहटाएंवाह शाश्त्री जी आपने तो वही मिसाल पक्की करदी कि जहां ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि..
जवाब देंहटाएंआपने तो नेट पर कविता रच कर इसका महातम्य ही अनंत्गुणा कर दिया.
रामराम.
net ki mahanta se itni achchi tarah parichit sirf aap hi karwa sakte hain...yeh gun sirf aap mein hi hai.
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी............. इन्टरनेट की दुनिया से क्या की कमाल हो सकते हैं............. खूब लाजवाब बताये ...... बच्चों को तो बहुत भाएगी ये कविता .............. शुक्रिया
जवाब देंहटाएंजालतंत्र बाबा की जय, उनकी महिमा अपरमपार...
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तख़लीक़-ए-नज़र
इंटरनेट की तमाम खूबियों का बखान करते ऐसे बालगीत को हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
जवाब देंहटाएंमान गए शास्त्रीजी।
बहुत सुंदर, प्रेरक, रंजक रचना है।
मजा आ गया...
बहुत सुन्दर बाल गीत इन्टर नेट की महिमा मंडित करता. बहुत साधुवाद..आखिर हमारा नाम भी तो बाल गीत में है. :)
जवाब देंहटाएंinter net ka mayajal
जवाब देंहटाएंhai bhut tgda
jankari bhi lelo aur chahe to blagar bnne ka nsha bhi pal lo .
bhut achi kavita