कितना है नादान मनुज, यह चक्र समझ नही पाया।
आशाएँ और अभिलाषाएँ, बढ़ती जाती प्रति-पल हैं।।
रंग-बिरंगे सुमन खिलेंगे, घर, आंगन, उपवन में।।
नाती-पोतों की किलकारी, जीवन में लाया है।।
वाणी पर अंकुश रखना, टोका-टाकी मत करना।।
भावी पीढ़ी को उनका, सुखमय जीवन जीने देना।।
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मंगलवार, 30 जून 2009
‘‘भावी पीढ़ी को उनका, सुखमय जीवन जीने देना’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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लयबद्ध गीतों को चुटकियों में रच देने में आपका जवाब नहीं
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंअनुभव का सागर ले कर के, सधा बुढ़ापा आता है,
काम वही करता है जो धन, सारी उमर कमाता है,
यह भविष्य का सुंदर पल है,जो सब को ही घेरेगा,
जितना अच्छा जो करता है,वही बुढ़ापे मे पाता है.
जीवन को बहुत गहराई से महसूसा है आपने।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
जीवन की सच्चाई को बहुत ही गहरे भावों से व्यक्त किया है आपने, आभार ।
जवाब देंहटाएंaaderneey....
जवाब देंहटाएंshastri ji.........
aapne jeevan ki sachhiyo ko jis tarah kalbadh kiya hai. vah kabile tareef hai...
aapne jo mera hosla badaya....uske liye dil se aabhar...
asha karta hun aap aage bhi isi tarah meri hoslaafzai aour margdarshan karte rahenge.....
बहुत ही अच्छा लिख रहे हैं आप
जवाब देंहटाएं--
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
आप न केवल अच्छा लिखते हैं, वरन गम्भीर बात को भी सहजता से कह डालते हैं. बधाई.
जवाब देंहटाएंdhanyavaad ek aur achchhi rachna ke liye.
जवाब देंहटाएंजीवन की सार्थक सच्चाई
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
Vyavharik sacchai ko vyakt karti kavita.
जवाब देंहटाएंआप ने एक सच को कविता का रुप दे कर समझाया.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सीख देती सरल सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति आप एक उत्कृश्ठ शब्दशिल्पी हैण बधाई इस बडिया रचना के लिये्
जवाब देंहटाएं