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सोमवार, 15 जून 2009
‘‘ऐ सुमन! तुम क्यों सुमन हो?’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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एक दिन ऐसा समय भी आयेगा,
जवाब देंहटाएंतोड़ कर माली तुम्हें ले जायेगा,
क्योंकि तुम सुन्दर सुमन हो।
ऐ सुमन! तुम क्यों सुमन हो?
suman isliye suman hai kyonki wo suman hai
behad achchhi lagi rachana
सुन्दर गीत!
जवाब देंहटाएंप्रश्न सुमन के सामने देत मयंक जवाब।
जवाब देंहटाएंलिखा सुमन पर गीत जो सुमन कहे आदाब।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आपने तो मन मोह लिया बहुत सुन्दर रचना है
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया रचना।बधाई।
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