आज अपने प्यारे कुत्ते "टॉम" पर एक बाल कविता लिखी तो मेरी पोती "फिरंगी" पर भी एक बाल-कविता लिखने की जिद करने लगी। उसी की फरमाइश पर प्रस्तुत है यह बाल-कविता- यह कुत्ता है बड़ा शिकारी। बिल्ली का दुश्मन है भारी।।
भौंक-भौंक कर उसे भगाता।।
बॉल पकड़ कर जल्दी लाता।।
बच्चों को अच्छा लगता है।।
इसका नाम फिरंगी प्यारा।।
भूरी सी हैं और नीली हैं।।
साथ-साथ चल पड़ता झट से।।
सुवह शाम इसको टहलाना।।
वफादार है बड़े काम का।। |
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रविवार, 21 जून 2009
‘‘वफादार है बड़े काम का’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सुन्दर बाल गीत है।बधाई।
जवाब देंहटाएंमयंक जी बहुत खूब आजकल तो नाती पोतिओं की फर्माईश ही पूरी नहीं हो रही छुटियाँ जो हैं बहुत प्यारे बच्चे हैं और कविता भी बहुत सुन्दर है फिरंगी का ही शुक्रिया करूँगी न वो ना कहती तो इतनी अच्छी कविता भि न लिखी जाती बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा आपने,
जवाब देंहटाएंमन करता है खूब पढ़ूँ,
दोहराउँ मैं बारम्बार,
आप की कविता दिल छूती है,
याद दिलाती है बचपन की.
वाह...अब दूसरा भाग्यशाली..
जवाब देंहटाएंसुंदर अति सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bahut hi sundar ...........kawita ke panktiyo me rawani hai.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!! :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर बाल कविता लिखी आपने, बच्चे तो खुश हुये ही होंगे, हमें भी बहुत अच्छी लगी, बधाई
जवाब देंहटाएंbhai firngi to bada dulara hai jo us par kvita bhi ho gai .
जवाब देंहटाएंbdi pyari kavita badhai