नही जानता कैसे बन जाते हैं, मुझसे गीत-गजल। जाने कब मन के नभ पर, छा जाते हैं गहरे बादल।। ना कोई कापी या कागज, ना ही कलम चलाता हूँ। खोल पेज-मेकर को, हिन्दी टंकण करता जाता हूँ।। देख छटा बारिश की, अंगुलियाँ चलने लगतीं है। कम्प्यूटर देखा तो उस पर, शब्द उगलने लगतीं हैं।। नजर पड़ी टीवी पर तो, अपनी हरकत कर जातीं हैं। चिड़िया का स्वर सुन कर, अपने करतब को दिखलातीं है।। बस्ता और पेंसिल पर, उल्लू बन क्या-क्या रचतीं हैं। सेल-फोन, तितली-रानी, इनके नयनों में सजतीं है।। कौआ, भँवरा और पतंग भी इनको बहुत सुहाती हैं। नेता जी की टोपी, श्यामल गैया, बहुत लुभाती है।। सावन का झूला हो, चाहे होली की हों मस्त फुहारें। जाने कैसे दिखलातीं ये, बाल-गीत के मस्त नजारे।। मैं तो केवल जाल-जगत पर, इन्हें लगाता जाता हूँ। क्या कुछ लिख मारा है, मुड़कर नही देख ये पाता हूँ।। जिन देवी की कृपा हुई है, उनका करता हूँ वन्दन। सरस्वती माता का करता, कोटि-कोटि हूँ अभिनन्दन।। |
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बुधवार, 10 जून 2009
‘‘कुछ मित्रों की टिप्पणियों का उत्तर’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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डॉ. साहब,
जवाब देंहटाएंमित्रों को टिप्पणी के उत्तर देती हुई कविता किसी गीत/कविता का प्रसवकाल दर्शाती हुई अच्छी लगी।
आपका आशीर्वाद अंतरजाल के लेखक और पाठक दोनों को मिलता रहे यही शुभेच्छा है।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
मयंक जी सच मे आप पर सरस्वती मा कि बहुत कृपा है ये यूँ ही बनी रहे और आप सब का मर्ग दर्श्न कर्ते rरहेम बहुत सुन्दर रचना आप्ने पाठ्कों के लिये लिखी है बहुत बहुत धन्यवाद््
जवाब देंहटाएंमैं तो केवल जाल-जगत पर,इन्हें लगाता जाता हूँ,
जवाब देंहटाएंक्या कुछ लिख मारा है,मुड़कर नही देख ये पाता हूँ।
Itne sare naye vicharon ke bich purane ki or palat kar dekhne ka samay mil bhi kaise sakta hai !
bahut badhiya .........aap isi tarah likhte rahein aur hamein apni rachnayein padhwate rahien , yahi ichcha hai.
जवाब देंहटाएंआप कोई बने हुये कवि नही हैं. आप पर तो मां सरस्वती का वरद हस्त है. बस हम सब पर आपका आशीष और प्यार लुटाते रहिये.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जिन देवी की कृपा हुई है, उनका करता हूँ वन्दन।
जवाब देंहटाएंसरस्वती माता का करता,कोटि-कोटि हूँ अभिनन्दन।।
बड़े भाई
बहुत अच्छी लगी आपकी वंदना
कमाल है शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंआप पर सचमुच माँ की कृपा है।
बेहतरीन जवाब,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन नज्म।
मुबारकवाद।
SIR JI,
जवाब देंहटाएंBAHUT BADHIYA LIKHTEN HAIN AAP.
यह विनम्रता तो आपका बड़प्पन है शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंbahut achchhe...!
जवाब देंहटाएं