पर डस्टर कष्ट बहुत देता है।
पढ़ना तो अच्छा लगता,
पर लिखना कष्ट बहुत देता है।।
दीदी जी तो अच्छी लगतीं,
पर वो काम बहुत देती हैं।
छोटी से छोटी गल्ती पर,
डस्टर कई जमा देतीं हैं।।
कोई तो उनसे यह पूछे,
क्या डस्टर का काम यही है?
कोमल हाथों पर चटकाना,
क्या इसका अपमान नही है??
दीदी हम छोटे बच्चे हैं,
कुछ तो रहम दिखाओ ना।
डाँटो भी, फटकारो भी,
पर हमको मार लगाओ ना।।
AAPK BLOG BAHUT ACHHA H.
जवाब देंहटाएंKAVITAYE TO KYA BAAT H JANAB.
PRANTU MUJHE AAP SE YE JANANA H KI SARASWATI KE CHITAR MEIN KEWAL HANS HI HOTA H. PRANTU MOR WALE CHHITAR KA KYA MATLAB HUA. PLZ AAP JANAKARI JARUR BHEJNA.
MORE SAAP (SANKE) KHATA H AUR SKHISHA (GYAN) SE ESKA DUR-DUR KA RISHTA NAHI HO SAKTA.
PLEASE EMAIL SE HI REPLY KARNAJI
KUCHH GALAT LAGA HO TO MUAF KAR DENA
RAMESH SACHDEVA
hpsshergarh@gmail.com
भाई रमेश सचदेव जी।
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती के दो वाहन हैं।
हंस और मोर।
मेरी जानकारी के अनुसार,
वो जब ज्ञान देतीं हैं तो हंस पर
सवार होतीं हैं और
जब दुष्टों का दमन करतीं हैं
तो मोर पर सवार होतीं हैं।
बहुत सुन्दर कविता है।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी मेरे नये प्रयास चर्चा । Discuss INDIA पर आपकी एक नज़र की चाह है
बहुत ही सुन्दर बाल कविता, आभार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर बाल कविता।
जवाब देंहटाएंachchi baal kavita.
जवाब देंहटाएंदिनों दिन आप तो बचपन याद दिलाते जारहे हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सही सीख है दीदी जी को. हमारे जमाने में नहीं दिये ऐसी सीख?
जवाब देंहटाएंसमीर भाई सही कह रहे है...
जवाब देंहटाएंपहले तो लकड़ी के हुआ करते है.. शुक्र है अब प्लास्टिक के आते हैं..