बिजली नभ में चमक रही है, अपनी धुन में दमक रही है,
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आदरणीय डॉ. साहब,
जवाब देंहटाएंवर्षा के सभी आयामों को अपने में समेटे कविता भिगो देती है। क्लासिकल टच वाली कविता पढवाने के लिये आपका आभार।
आशीर्वादाकांक्षी,
मुकेश कुमार तिवारी
एक सुन्दर कविता के साथ कई खुब सूरत तस्वीरो से सजी .......एक अच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंबहुत मनभावन रचना है
जवाब देंहटाएंवाह। शास्त्री जी अद्भुत कम्पोज़िशन है।
जवाब देंहटाएंjitne sundar chitra hain utni hi sundar kavita hai.
जवाब देंहटाएंवाह डॉ साहब आपकी 'वर्षा' में भीगकर तो मजा आ गया....परन्तु अब कहाँ ऐसी फुहार...
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब रचना. बस भीग ही गये इस मौसम में.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बादलों की तस्वीरें देख कर सचमुच वर्षा का आभास सा होने लगा.सुन्दर रचना भी..बधाई.
जवाब देंहटाएंmaम्यंक जी आज अच्छे समय पर कवित कही आज हमारे यहाँ बादल छा रहे हैं बहुत सुन्दर आभार
जवाब देंहटाएंवर्षा का बहुत सुंदर चित्रण किया है और चित्र भी बडे मनोहारी हैं।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सुंदर भाव ..सुंदर अभिव्यक्ति ..!!बधाई ..
जवाब देंहटाएंवर्ष ऋतु आने वाली है ... और आपकी कविता वर्षा के सारे रंग दिखा रही है ..सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवर्षा ऋतु का मनमोहक चित्र दिखाया है आपने.
जवाब देंहटाएंसादर
वर्षा ऋतु का मनमोहक चित्र
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव, सुंदर अभिव्यक्ति
बधाई!
varsha ritu ke baare me itne sahaj sabdo ka upyog kar itni achchhi kavita likhi h aapne pad kar hriday anand se bhar gaya or aapke bloagspot par bahut sari kavitaye h me un sabhi kavitao ko padhna chahta hu or me padhunga bhi dhanyhua me aapke blogspot par aa kar
जवाब देंहटाएंवाह लाजबाव पंक्तियां
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